न्यूज डेस्क
मध्य प्रदेश की सियासी लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। फ्लोर टेस्ट कैंसल होने के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने कहा है कि 48 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट करवाया जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी।
शिवराज सिंह चौहान की यह याचिका मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर एनपी प्रजापति के खिलाफ है। उन्होंने कोरोना वायरस को वजह बताते हुए विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया है। इसपर बीजेपी ने हंगामा भी किया था।
शिवराज के वकील ने याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की है। हालांकि, रजिस्ट्रार ने कहा है कि याचिका में कुछ खामियां हैं, उन्हें दूर किया गया तो मंगलवार को सुनवाई संभव। शिवराज के अलावा 9 अन्य बीजेपी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
फ्लोर टेस्ट की मांग करते हुए बीजेपी ने तीन दलीलें दी हैं। पहली यह कि राज्यपाल प्रमुख होता है। उनके कहने के बावजूद बहुमत साबित नहीं किया जा रहा। आगे कहा गया कि 22 विधायक जब कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं तो कांग्रेस उनकी परेड की मांग कैसे कर सकती है। तीसरी दलील दी गई है कि गवर्नर के दो बार पत्र लिखने के बावजूद फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ, जो संविधान की अवमानना है।
सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन अभिभाषण पढ़ने के दौरान हुए हंगामे के कारण कुछ ही मिनट में सदन से निकल गए। इसके बाद खबर आई कि विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। जिसके बाद लोग चौंक उठे।
खास बात है कि 26 मार्च को ही राज्यसभा चुनाव है। माना जा रहा है कि अब बीजेपी कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। विधानसभा में अभिभाषण की कुछ लाइनें पढ़ने के बाद राज्यपाल ने राज्य के मौजूदा हालात पर टिप्पणी करते हुए सभी से शांति बरतने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि सभी सदस्य शांतिपूर्वक, निष्ठापूर्वक, नियमों के अनुसार पालन करें, ताकि मध्य प्रदेश के गौरव और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा हो सके।
भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को ही फ्लोर टेस्ट की मांग की थी। राज्यपाल ने भी रविवार को लिखे पत्र में सोमवार को अपने अभिभाषण के तुरंत बाद फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दिया था। मगर, स्पीकर ने फ्लोर टेस्ट को सदन की कार्यवाही की सूची में शामिल नहीं किया।