जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ के पूर्व सांसद और मध्य प्रदेश के राज्यपाल लाल जी टंडन का आज सुबह निधन हो गया। वो करीब 40 दिन से मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की खबर मंगलवार को उनके बेटे आशुतोष टंडन ने ट्वीट कर दी। आशुतोष टंडन ने ट्वीट में लिखा, ‘बाबूजी नहीं रहे।’ 85 वर्षीय लालजी टंडन अगस्त 2018 से जुलाई 2019 के बीच बिहार के गवर्नर भी रहे।
उनके निधन पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि टंडन जी संवैधानिक मामलो के ज्ञाता थे। उन्होंने अटलजी के साथ लंबा वक्त गुजारा। दुख की इस घडी में मैं उनके परिवार व चाहने वालों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लालजी टंडन के निधन से देश ने एक लोकप्रिय जननेता, योग्य प्रशासक और प्रखर समाजसेवी को खोया है। लालजी टंडन लखनऊ के प्राण ही थे। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। साथ 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
संघ की शाखाओं में लिया करते थे हिस्सा
अब बात करते हैं लाल जी टंडन की राजनीतिक शुरुआत की। लालजी टंडन 12 साल की उम्र से ही संघ की शाखाओं में हिस्सा लिया करते थे। संघ से जुड़ाव के कारण ही उनकी मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी से हुई थी। जबकि उनका राजनीतिक सफर 1960 से शुरू हुआ।
लालजी टंडन खुद कहा करते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में उनके साथी, भाई और पिता तीनों की भूमिका को निभाया है। अटल के साथ उनका करीब 5 दशकों का साथ रहा। इतना लंबा साथ अटल का शायद ही किसी और राजनेता के साथ रहा हो। यही वजह रही कि अटल बिहारी वाजपेयी के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को लखनऊ में टंडन ने ही संभाला था और सांसद चुने गए थे।
जेपी आंदोलन में बढ़ चढ़ कर लिया हिस्सा
लाल जी टंडन ने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी बढ़-चढकर हिस्सा लिया था। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। टंडन दो बार पार्षद चुने गए और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे। 1978 से 1984 तक और 1990 से 1996 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य बनाये गये। इस दौरान उन्हें 1991-92 की उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार में मंत्री भी बनाया गया।
मायावती बांधा करती थी राखी
उत्तर प्रदेश की राजनीति में लालजी टंडन ने कई प्रयोग किये। 90 के दशक में प्रदेश में बीजेपी और बसपा की गठबंधन सरकार बनाने में उन्होंने अहम योगदान निभाया था। इसके बाद लालजी 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। बसपा सुप्रीमो मायावती उन्हें अपने बड़े भाई की तरह मानती थीं और राखी भी बांधा करती थीं। 1997 में वह प्रदेश के नगर विकास मंत्री रहे।
जब संभाली अटल की विरासत
साल था 2009 । इस साल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने राजनीति से दूर जाने का फैसला ले लिया। इसके बाद उनकी विरासत लखनऊ लोकसभा को सँभालने का मौका लाल जी टंडन को मिला जोकि उन्होंने बखूबी निभाया। लोकसभा चुनाव में लालजी टंडन ने लखनऊ लोकसभा सीट से आसानी से जीत हासिल की और संसद पहुंचे।
लालजी टंडन को साल 2018 में बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और फिर कुछ दिनों के बाद मध्यप्रेदश का राज्यपाल बनाया गया था।