Saturday - 26 October 2024 - 3:17 PM

सिंधिया की नसीहत पर कमलनाथ की साफगोई

रूबी सरकार

दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बार फिर शून्य पर रहने की टीस अब कांग्रेस नेताओं के मन में उठने लगी है। अधिकतर नेता खुलकर अपनी प्रतिक्रिया देने लगे हैं। एक समय देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस वर्ष 2014 से जिस तरह से राष्ट्रीय फलक पर कमजोर होती जा रही है

इससे नेता अपने ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ बयानबाजी करने लगे हैं, बल्कि वे अपनी बात मीडिया के सामने कहकर अप्रत्यक्ष रूप से आलाकमान तक पहुंचाने की कोषिष कर रहे हैं।

सवाल यही है कि क्या कांग्रेस देष की राजनीति में बदलते परिवेश के अनुकूल अपनी सोच रणनीति व दिशा तय कर पायेगी ।

इसी परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी मध्यप्रदेष की जमीन पर अपनी सरकार के खिलाफ दो-टूक बात कह डाली । उन्होंने कहा, कि हमने जिन मुद्दों पर प्रदेष में सरकार बनाई है, उन्हें प्राथमिकता देनी होगी। यदि ऐसा नहीं होता है, तो वे जनता के साथ सड़क पर खड़े होने में संकोच नहीं करेंगे।

इस तरह सिंधिया सीधे मुख्यमंत्री कमलनाथ को चुनौती देना कमलनाथ को रास नहीं आया। उन्होंने भी पलटवार करते हुए कहा, कि सिंधिया को सड़क पर उतरना है, तो वे उतर जायें। उन्हें साफगोई पसंद है और एक बार बढ़े हुए पांव वह पीछे नहीं खींचते।

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इस तरह के आपस में बयानबाजी करने से विरोधियों को ताकत मिलती है, वह भी तब, जब लम्बी कष्मकष के बाद भाजपा ने संघ की पसंद पर मध्यप्रदेष में पार्टी अध्यक्ष के रूप में खजुराहो के सांसद विष्णुदत्त शर्मा को नियुक्त कर दिया हो। उनका आक्रामक और आंलोदनकारी छवि सबके दिमाग में ताजा है। उम्र में भी अन्य के मुकाबले युवा हैं।

दरअसल बीते सप्ताह मध्यप्रदेश के प्रवास के दौरान बुंदेलखण्ड अंचल में सिंधिया ने पार्टी को रणनीति बदलने और अपनी सोच में परिवर्तन लाने की सलाह दे दी। उन्होंने यह स्वीकार किया कि पार्टी के लिये देश की राजधानी में यह स्थिति बेहद निराशाजनक है । पार्टी को पुर्नस्थापित करने के लिए नई तकनीक और कार्यप्रणाली की जरूरत है।

सिंधिया ने कहा, देश बदल रहा है,युवाओं के लिए हमें नये तरीके से सोचना होगा और देश के लोगों के साथ सतत सम्पर्क रखना होगा। टीकमगढ़ के पृथ्वीपुर में प्रवास पर आये सिंधिया ने कहा, कि 70 साल में देश में काफी बदलाव आया है हमें देश के लोगों को नये तरीके से जोड़ने के बारे में सोचना होगा । हमें बदले परिवेष में अपने को ढालने की जरूरत है।

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उल्लेखनीय है, कि बीते एक साल से कांग्रेस का एक खेमा ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेष अध्यक्ष के पद पर ताजपोषी के लिए जोर आजमाइष कर रहा है, जबकि कमलनाथ मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों पद संभाले हुए है हालांकि वे भी नया अध्यक्ष चुनने की पेशकश आलाकमान से कर चुके है। लेकिन कांग्रेस एक साल से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कौन होगा, यह तय नहीं कर पायी है।

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यही कारण है, कि बड़े नेता ज्यादा परेशान नजर आ रहे हैं। अब वह समय आ चुका है, कि कांग्रेस आलाकमान द्वारा मीठी गोलियों के बजाय पार्टी के लिए शीघ्रतिषीघ्र प्रदेष अध्यक्ष का चयन करे। जो नई ताजगी और ऊर्जा से काम कर सके। बिना लाग लपेट के यदि हाईकमान ऐसे चेहरों की तलाश कर लेते है, तोे मौजूदा परिवेश में पार्टी अपने आपको और मजबूत कर पायेगी।

इधर दिग्विजय सिंह का राज्यसभा का कार्यकाल अप्रैल में पूरा हो रहा है। मध्यप्रदेष में कांग्रेस की सरकार बनाने में उनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि यदि कोई नेता दिल्ली से आकर अपने प्रदेश में सक्रिय हो जाए, तो वह भाजपा की मजबूत सत्ता को उखाड़ फेंक सकता है।

डेढ़ दशक बाद मध्यप्रदेश में फिर से कांग्रेस को पदारूढ़ करने के लिए उन्होंने संगत में पंगत कर कांग्रेसजनों को जोड़ा और सभी नेताओं के बीच आपसी मन मुटाव दूर कर उन्हें सक्रिय किया। लगभग 3600 किलोमीटर की पैदल नर्मदा परिक्रमा कर ऐसा माहौल बनाया, कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया। हालांकि लोकसभा चुनाव वह हार गये।

ऐसे में वे भी दोबारा राज्यसभा के लिए दावेदार हैं। ऐसे में राज्यसभा प्रत्याषी के लिए कांग्रेस आलाकमाल की राह आसान नहीं होगा। क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे चेहरे भी उनके सामने है।

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कांग्रेस की कार्यप्रणाली पर सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिंया ही नहीं, बल्कि जयराम रमेश और वीरप्पा मोइली भी प्रष्न उठा चुके हैं। सभी एक स्वर से बदलाव की मांग कर रहे हैं। दिल्ली के अलावा यूपी और बिहार की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए जयराम रमेश ने कहा, कि पार्टी को खुद में भी बड़ा बदलाव करना होगा, वरना पार्टी अप्रसांगिक हो जाएगी।

उनका कहना है कि अगर प्रसांगिक रहना है, तो कांग्रेस पार्टी के नेताओं को अहंकार छोड़ना होगा। कुछ बड़े नेताओं ने तो यहां तक कह दिया, कि कांग्रेस दूसरे की जीत और किसी की हार में अपनी खुशियां ढूंढने के बजाय स्वयं के हालात पर आत्ममंथन करे।

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