जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. मध्य प्रदेश नेशनल एजूकेशन पालिसी को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. गवर्नर मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बृहस्पतिवार को भोपाल में इसकी शुरुआत की. मुख्यमंत्री ने कहा कि पढ़-लिखकर भी अगर रोजी-रोटी न कमा सके तो फिर ऐसी शिक्षा का फायदा ही क्या है. मुख्यमंत्री ने सभी विश्वविद्यालयों को उद्योगों के साथ मिलकर काम करने को कहा है ताकि रोज़गार की संभावनाओं को बढ़ाया जा सके.
मध्य प्रदेश की सरकार राज्य में शोध ज्ञान फाउंडेशन की स्थापना करेगी. विश्वविद्यालयों को उद्योगों से जोड़ेगी. विश्वविद्यालयों और कालेजों में क्या-क्या सुधार हो सकेगा उसकी मानीटरिंग करायेगी. सरकार की कोशिश यही होगी कि शिक्षा हासिल करने वाला कोई भी व्यक्ति बेरोजगार नहीं रह जाए. मुख्यमंत्री ने कुलपतियों से कहा कि वह अपने दफ्तरों में ही कैद न रहें. वह अपना विश्वविद्यालय भी देखें और उससे सम्बद्ध डिग्री कालेजों के निरीक्षण पर भी जाएं.
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मध्य प्रदेश सरकार ने शिक्षा विभाग को स्पष्ट निर्देश दिया है कि नीतियां इस तरह से बनाई जाएं कि 2035 तक 50 फीसदी ज्यादा लोगों को हम शिक्षा देने में समर्थ हो सकें. इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की खासियत यह है कि छात्र चार साल में बैचलर विद रिसर्च का कोर्स कर लेगा. ग्रेजुएशन हालांकि तीन साल में ही कम्प्लीट हो जाएगा लेकिन रिसर्च की इच्छा रखने वाले चार साल में बैचलर विद रिसर्च कर सकेंगे. इसमें पहला साल इंटर्नशिप का होगा. किसी छात्र को अगर बीच में किसी मजबूरी में पढ़ाई छोड़नी पड़ती है और वो बाद में उसे जारी रखना चाहता है तो वो ऐसा भी कर सकेगा. कोई छात्र एक कालेज से दूसरे कालेज में ट्रांसफर लेना चाहेगा तो यह विकल्प भी उसके सामने खुला रहेगा. छात्र को ऑनलाइन पढ़ाई का ऑप्शन भी दिया जाएगा.