जुबिली न्यूज़ डेस्क
इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण चंद मिनटों पहले ही शुरू हो गया है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर ग्रहण अपने साथ शुभ या अशुभ संकेत लेकर आता है। लेकिन इस बार ग्रहण की तिकड़ी खतरे का संकेत दे रही है। एक ही महीने में सूर्य ग्रहण से पहले और बाद लगने वाले चंद्र ग्रहण को ज्योतिष अच्छा नहीं मान रहे हैं। आज के चंद्र ग्रहण को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं।
दरअसल आज लगने वाला चन्द्र ग्रहण एक महीने के अंदर तीसरा ग्रहण है। इससे पहले 5 जून को चंद्र ग्रहण और 21 जून को सूर्य ग्रहण लग चुका है अब 5 जुलाई को एक बार फिर चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। ग्रहों की चाल पढ़ने वाले ज्योतिष के जानकार किसी संकट की आशंका ज़ाहिर कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इस चंद्र ग्रहण के प्रभाव से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है।
ज्योतिषियों के मुताबिक ये ग्रहण धनु राशि और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में लग रहा है। धनु राशि आक्रामकता की राशि है। इस ग्रहण की वजह से देश-दुनिया में युद्ध और विवादों जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं।
भारतीय समय के अनुसार यह ग्रहण सुबह 8 बजकर 57 मिनट पर शुरू होकर 11 बजकर 22 मिनट तक होगा। यह ग्रहण कुल 02 घंटे 43 मिनट 24 सेकंड तक रहेगा। इसका प्रभाव 09: 59 पर सबसे अधिक देखने को मिलेगा। हालांकि, ये उपछाया चंद्रगहण भारत में नहीं दिखेगा। यह दक्षिण एशिया के कुछ इलाकों समेत अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में दिखेगा।
बता दें कि लास एंजिल्स में चंद्र गहण चार जुलाई को स्थानीय समयानुसार 8 बजकर 5 मिनट से शुरू होगा और 10 बजकर 52 मिनट तक दिखाई देगा। केपटाउन में पांच जुलाई को स्थानीय समयानुसार ग्रहण सुबह 5 बजे तक खत्म होगा। इसके 5 महीने 25 दिन बाद 30 नवंबर को चंद्रग्रहण लगेगा। वहीं 14 दिसंबर 2020 को पूर्ण सूर्यग्रहण लगेगा, जो भारत में नहीं दिखेगा।
गौरतलब है कि इस साल छह ग्रहण लगने वाले हैं। इनमें चार चंद्र गहण और दो सूर्य ग्रहण है। साल पहला ग्रहण 10-11 जनवरी को चंद्र ग्रहण लगा था। दूसरा 5 जून लगा था, यह भी चंद्र गहण था। इसके बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा। चौथा ग्रहण आज लगने वाला है। पांचवा ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा,जो चंद्रग्रहण होगा। छठा ग्रहण 14 दिसंबर को लगेगा, जो सूर्यग्रहण होगा।
क्या होता है ग्रहण
ग्रहण सामान्य खगोलीय घटना है। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आता है तो ‘सूर्य ग्रहण’लगता है। वहीं सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी के आने पर ‘चंद्र ग्रहण’ लगता है। ध्यान रहे सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है।