न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का घंटाघर दूसरा ‘शाहीन बाग’ बन चुका है। लगातार चार दिनों यहां बड़ी संख्या में महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों के साथ हाथों में तख्तियां लेकर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण (एनआरसी) के विरोध में सड़क पर बैठी हैं।
इन तख्तियों पर नो सीएए नो एनआरसी और वी रिजेक्ट सीएए-एनआरसी लिखा है। कड़ी ठंड, गलन और प्रशासन की सख्ती भी उनके विरोध प्रदर्शन का हौसला नहीं तोड़ पा रही है।
महिलाओं का कहना है कि सीएए के जरिये सरकार हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ना चाहती है। देश के नागरिकों को अपने भारतीय होने का सबूत देने के लिए दर-दर भटकना होगा।
वहीं, दूसरी ओर बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में लखनऊ में मुस्लिम महिलाओं के धरने को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी प्रायोजित बताया है। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार मुस्लिम महिलाओं की सच्ची हितैषी हैं। बीजेपी ही मुस्लिम महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने का हर संभव प्रयास कर रही है।
रविवार को जारी बयान में उन्होंने कहा कि बीते दिनों नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के संरक्षण में हुए हिसंक प्रदर्शन के दोषियों पर सख्त कार्रवाई से विपक्ष में बौखलाहट है। उपद्रवियों पर हो रही कार्रवाई को रोकने के लिए ही महिलाओं को आगे कर प्रायोजित प्रदर्शन कराया गया है। जनता कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की कारस्तानियों को अच्छी तरह से समझ रही है। यही वजह है कि सपा व कांग्रेस की ओर से हर तरह का लालच दिये जाने के बाद भी चंद मुस्लिम महिलाएं ही धरने पर हैं। उनको अपने परिवार वालों का भी समर्थन नहीं मिल रहा है।
प्रदेश प्रवक्ता ने केंद्र व प्रदेश सरकार की मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में शुरू कराई गई योजनाओं को गिनाते हुए कहा कि तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास, आयुष्मान भारत योजना और मुख्यमंत्री जन आरोग्य जैसी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। राज्य सरकार तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को छह हजार रुपये सालाना की आर्थिक मदद भी देगी।
गौरतलब है कि पूराने लखनऊ स्थित घंटाघर के पास सीएए और एनआरसी के खिलाफ महिलाएं शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहीं हैं। इन महिलाओं के धरना प्रदर्शन खत्म करने के लिए पुलिस प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए शनिवार देर रात कम्बल छीनना शुरू किया तो सोशल मीडिया पर यूपी पुलिस का विरोध शुरू हो गया।
साथ ही सोशल मीडिया साइट ट्वीटर पर #कंबल_चोर_यूपी_पुलिस’ ट्रेंड करने लगा। इसके बाद लखनऊ पुलिस के जारी स्टेटमेंट में कहा गया कि शहर के घंटाघर पार्क में अवैध रूप से धरना प्रदर्शन चल रहा था। कुछ लोगों ने वहां रस्से और डंडे से घेरा बनाकर शीट लगाया था, जिसे लगाने से मना किया गया था। कुछ संगठन के लोगों के द्वारा पार्क में कंबल वितरित किया जा रहा था। जिससे आसपास के लोग जो धरने में सम्मलित नहीं थे, वह भी कंबल लेने आ रहे थे। पुलिस ने वही कंबल और उन संगठन के लोगों को वहां से हटाया। कंबलों को विधिक तरीके से कब्जे में लिया गया। इसलिए अफवाह न फैलाएं।
वहीं, प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस उनके खाने पीने के सामान ले गई। छह मददगारों का चालान किया। इस बीच पुलिस को रोकने के लिए प्रदर्शनकारी महिलाओं ने वंदे मातरम और राष्ट्रगान गाकर उनका रास्ता रोका। उन्होंने पुलिस को शांतिपूर्वक प्रदर्शन का संदेश दिया। कई महिलाओं ने पुलिस अफसरों को फूल देकर अपने साथ आने की अपील की।
एडीसीपी पश्चिमी विकास चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने बिना अनुमति के टेंट लगाया था। जो सामान बिना अनुमति के लगाए गए थे, उन्हें ही जब्त किया गया था। प्रदर्शनकारियों को भड़काने की कोशिश करने वालों का चालान काटा गया। पुलिस का कहना है कि उनपर लगे बाकी आरोप बेबुनियाद हैं।
बता दें कि दक्षिणी दिल्ली के शाहीन बाग में CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शनकारी शाहीन बाग के 13 नंबर रोड पर प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। वहीं लोगों को उठाने के लिए पुलिस बीच का रास्ता निकालने में जुटी है। दिल्ली पुलिस नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही महिलाओं से सड़क खाली करने की अपील कर चुकी है। मगर प्रदर्शनकारी महिलाएं हटने को तैयार नहीं हैं।