न्यूज डेस्क
देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर विरोध और समर्थन में प्रदर्शन चल रहे हैं। दिल्ली के शाहीन बाग से लेकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के घंटाघर तक बड़ी संख्या में महिलाएं कई दिनों से सड़क पर पर बैठकर इस एक्ट के खिलाफ धरने पर बैठी हैं। दूसरी तरह गृहमंत्री अमित शाह ने अपने लखनऊ दौरे के दौरान सीएए को वापस लेने और इसमें कोई बदलाव करने से साफ इनकार कर दिया है।
इस बीच लखनऊ यूनिवर्सिटी ने नागरिकता संशोधन कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कह कर नए विवाद को जन्म दे दिया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के मुखिया मायावती ने लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित। बसपा इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।
मायावती ने ट्वीट करके कहा, सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इसपर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।
सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इसपर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।
— Mayawati (@Mayawati) January 24, 2020
दरअसल, लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग की तरफ से नागरिकता संशोधन कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करने और इस पर डिबेट कराने की तैयारी की जा रही है, जिसमें कई कॉलेजों के छात्रों को शामिल किया जाएगा।
लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े सूत्रों की माने तो फरवरी के दूसरे सप्ताह में यूनिवर्सिटी में ये कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। वहीं विभाग की तरफ से बाकायदा इसे विश्वविद्यालय में पढ़ाए जाने को लेकर प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र की हेड ऑफ डिपार्टमेंट शशि शुक्ला ने बताया कि वह जल्द ही इस पाठ्यक्रम को अमल में लाएंगे। उन्होंने कहा कि सीएए इस समय देश में सबसे बड़ा सम-सामयिक विषय है इसलिए लोगों को जागरूक करना है। इसके लिए सबसे बेहतर विकल्प छात्र-छात्राएं ही हैं।
शशि शुक्ला ने बताया कि प्रस्ताव है कि हम एक पेपर लाएंगे, जिसका विषय भारतीय राजनीति में सम-सामयिक मुद्दे होगा। ये विचाराधीन है कि इस सीएए के मुद्दे को भी इस पेपर में शामिल करें। हम इसे सिलेबस में शामिल करेंगे और इसे बोर्ड में प्रस्ताव के रूप में रखेंगे, पास हो जाने पर इसे एकेडमिक काउंसिल के पास भेजा जाएगा। वहां से पास हो जाने पर पढ़ाई शुरू होगी। उन्होंने बताया कि इसके अलावा छात्रों की मांग थी कि वार्षिक वाद-विवाद प्रतियोगिता में सीएए पर चर्चा की जाए।