धीरेन्द्र अस्थाना
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बेहद तनावपूर्ण माहौल है। सीएए के विरोध में जमकर पत्थरबाजी, आगजनी हो रही हैं। हालात बेकाबू हैं। पुलिस भी हालात पर नियंत्रण करने में असफल है।
आलम ये है कि उपद्रवियों ने पुलिस चौकिया तक फूंक दी हैं। इस पर बारे में जानकारी देते हुए एडीजी लॉ एंड ऑर्डर पीवी रामा शास्त्री ने बताया कि 50 से अधिक लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं। हालातों पर काबू कर लिया हैं।
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चश्मदीदों की माने तो उनका साफ कहना है कि शहर की पुलिस से ज्यादा दंगाईयो से लोहा लेने के लिए नागरिक सुरक्षा के लोग आगे रहे। जिसकी वजह से दंगाईयो को खदेड़ने में आसानी रही।
बता दें कि प्रदर्शनकारियों को तितर- बितर करने और हालात पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इस दौरान उग्र प्रदर्शनकारियों ने मधेगंज पुलिस चौकी पर हमला कर दिया।
भीड़ ने यहां जमकर तोड़फोड़ की और यहां खड़ी कई गाड़ियों को फूंक डाला। जिसके बाद लखनऊ के हालात बेकाबू हो गए हैं। वहां भारी पुलिस फोर्स तैनात है।
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जुबिली पोस्ट को सिविल डिफेन्स के एक अधिकारी ने बताया कि ये भीड़ बाहर से आयी थी, जिसकी जानकारी न तो पुलिस को थी और न ही सिविल के किसी कार्यकर्ता को। हालांकि इसमें लोकल लोगों की अहम भूमिका इसलिए भी है क्योंकि लोकल के बिना ये दंगा संभव नहीं था।
उन्होंने ये भी बताया कि ये भीड़ चौक के आस पास के अलावा कैसरबाग के कसाईबाड़े के लोगों की भी है, तभी वहां उन्हें हर तरफ की पूरी जानकारी थी और ये भी पता था कि वहां पुलिस बल उनका मुकाबला नहीं कर पायेगा।
नाम ना बताने की शर्त पर उन्होंने ये भी बताया कि हिंसा फैलाने वाले गोलियां भी चला रहे थे और पुलिस इसलिए बेबस थी क्योंकि उनके सामने महिलाओं और बच्चों को आगे कर दिया गया था।
जब पुलिस कम था तब तक वो भीड़ इतनी उग्र हो चुकी थी कि उन्होंने न केवल पुलिस बल्कि मीडिया पर भी हमला बोल बोल दिया था। जब पुलिस बल बढ़ा तब तक हालात बेकाबू होकर प्रदर्शनकारी हज़रतगंज की मुख्य मार्केट तक पहुंच गये।
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इस बारे में लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने कहा कि पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है। गलियों से जो भीड़ आ रही थी, उन्हें वापस गलियों में खदेड़ दिया है। साथ ही अराजक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसके बाद सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा।