प्रियंका की रिपोर्ट लखनऊ से
लम्बी-लम्बी लाइन, लम्बा इंतजार और फिर हर काम के लिए लम्बी लाइन। प्रदेश के अस्पतालों में यह स्थिति इसलिए है क्योंकिहम भूल चुके हैं कि जो आदमी लाइन में लगा है, दरअसल वहीं इस पूरे महकमे का खर्च भी उठाता है अपने द्वारा दिए गए टैक्स के पैसे से। लेकिन उसे वापसी में मिलती है सिर्फ लाइन।
उत्तरद प्रदेश के 23 करोड़ लोगों के लिए लगभग 14000 डाक्टर। आखिर लाइन क्यों ना लगे। शहरी किनारों में स्थित सामुदायिक स्वस्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर नदारद हैं तो जिला स्तरीय अस्पतालों में लाइन क्यों न लगे।
राजधानी लखनऊ के लोहिया व बलरामपुर जैसे अस्पतालों में रोज चार से पांच हजार मरीज 4000 से 5000 मरीज और उनके परिजनों का आना-जाना होता है। जब जिला स्तरीय अस्पतालों में विशेषज्ञ की कमी तो उच्च स्तरीय संस्थान पीजीआई में भीड़ लगना लाजिमी है। यहां तो नंबर लगवाने के लिए रात से ही लाइन में लगना पड़ता है। हां यदि आप वीआईपी हैं तो लाइन आपके लिए नहीं बस सीधे दाखिल हो जाइये डाक्टर के कमरे में।
सूबे की जनसंख्या के अनुसार उत्तर प्रदेश को 33000 डॉक्टर की जरूरत है लेकिन यहां सिर्फ 18000 स्वीकृत पोस्ट्स हैं। और तो और काम कर रहे महज 14000 के करीब। तो यदि आप चाहें तो यह गणित लगा सकते हैं की अभी एक डॉक्टर के जिम्मे प्रदेश के कितने लोग को देखने की जिम्मेदारी है और यदि 33000 डॉक्टर होते तो एक डॉक्टर पर कितनी जिम्मेदारी होती।
हालांकि सूबे की सरकार ने अथक प्रयास किये की सरकारी क्षेत्र में और अधिक संख्या में डाक्टर आएं लेकिन जहां 1000 का चयन होता वहीं 150 अंतत: ज्वाइन करते हैं। प्रोविंशियल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (पीएमएसए) यानि सरकारी डॉक्टर की यूनियन के अध्यक्ष डॉ. अशोक यादव इसकी वजह बताते हुए कहते हैं कि जब तक सरकारी क्षेत्र में काम करने का माहौल बेहतर नहीं होगा नए लोग आने से कतराएंगे। तनख्वाह के अलावा काम करने के घंटे और अन्य सुविधाएं ठीक होनी चाहिए।
स्थिति यह है कि नेशनल हेल्थ मिशन मिशन के अंतर्गत एक डाक्टर संविदा पर 8 घंटे काम करके 2 लाख से अधिक कमा सकता है। परन्तु पक्की नौकरी वाला पीएमएसए का डाक्टर 14 घंटे ओपीडी, इमरजेंसी और पोस्ट मार्टम ड्यूटी करके भी एक लाख तक बस कमा पा रहा है। डॉ यादव कहते हैं क्या यह विसंगति नहीं है
ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवा बेहद खराब है। सुविधाओं का अभाव है। यही वजह है कि डॉक्टर नौकरी ज्वाइन करने नहीं आ रहे हैं। इसका खामियाजा मरीज को भुगतना पड़ रहा है। मामूली बीमारी के इलाज के लिए मरीजों को शहर तक की दौड़ लगानी पड़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि सेवाओं को बेहतर करने के लिए प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के आवास बनाए गए कर्मचारियों के आवास बनाए जाए। सड़क बिजली पानी व्यवस्थाएं दुरुस्त कराई जाए।
पीएमएसए के अनुसार विशेषज्ञ डॉक्टरों की सूबे में वर्तमान स्थिति
विशेषता स्वीकृत पद कार्ययत संख्या
फिजिशियन 859 189
चेस्ट फिजिशियन 136 96
पैडिएट्रिशन 687 525
सर्जन 990 275
ओर्थोपेडिक सर्जन 372 241
नेत्र सर्जन 233 250
ईएनटी 134 114
प्लास्टिक सर्जन 24 7
कार्डियोलॉजिस्ट 133 44
न्यूरो सर्जन- 21 2
यूरो सर्जन 17 2
नेफ्रोलॉजिस्ट 22 4
रेडियोलाजिस्ट 926 173
पैथोलोजिस्ट 352 142
निश्चेतक 1313 390
स्त्री रोग 1105 393
स्किन विडी- 90 56
मानसिक रोग 25 19
कुल 7439
कार्ययत 2922