जुबिली न्यूज डेस्क
लव जिहाद को लेकर देश में बड़ी बहस छिड़ी हुई है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की बीजेपी शासित सरकारों ने लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत इसे बीजेपी की तोड़ने की राजनीति बता रहे हैं। वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि किसी को जीवन साथी चुनना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है सरकार उसे नहीं छिन सकती है।
लव जिहाद पर चल रही चर्चा के बीच यूपी सरकार द्वारा लव जिहाद के मामलों की जांच के लिए बनाई गई Special Investigation Team (SIT) ने अपनी जांच पूरी कर ली है। एसआईटी की जांच में किसी भी तरह की साजिश या मुस्लिम युवकों द्वारा विदेशी फंड लेने की बात सामने नहीं आई है।
यहां बता दें कि सितंबर महीने में इस एसआईटी का गठन किया गया था। यह टीम 14 ऐसे मामलों की जांच कर रही थी जिसमें ‘लव जिहाद’ का आऱोप लगाया गया था। सोमवार को एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि किसी भी मुस्लिम युवक को किसी भी संगठन का सपोर्ट नहीं था।
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अभी कुछ ही दिनों पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में गैर कानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराए जाने के खिलाफ अध्यादेश लाने की बात कही है। यह अध्यादेश ‘लव जिहाद’ के बढ़ते आरोपों को देखते हुए लाए जाने की बात कही गई थी।
जिस एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है उसका गठन कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने किया था। दरअसल कुछ हिंदू संगठन (जिसमें विश्व हिंदू परिषद भी शामिल है) के सदस्यों ने उनसे मुलाकात कर आरोप लगाया था कि मुस्लिम युवक साजिश रच कर हिंदू लड़कियों से विवाह कर रहे हैं और फिर उनका धर्म परिवर्तन कर रहे हैं।
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इनका यह भी आऱोप था कि इसके लिए उन्हें विदेश से फंड मिल रहा है ताकि वो शादी से पहले अपनी पहचान लड़की के सामने छिपा सकें। इस एसआईटी का नेतृत्व उप पुलिस अधीक्षक विकास पांडे कर रहे थे। उनके नेतृत्व में यह टीम कानपुर जिले की 14 अलग-अलग थानों में दर्ज ऐसे मामलों की जांच कर रही थी जिसमें हिंदू लड़कियों ने मुस्लिम युवकों से शादी की थी। यह सभी केस पिछले 2 साल के अंदर दर्ज कराए गए थे।
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इन सभी 14 केसों के बारे में आईजी ने कहा कि ‘एसआईटी को जांच में पता चला है कि पुलिस ने 11 केसों में आऱोपियों के खिलाफ एक्शन लिया है। इन सभी पर धारा 363, 366 समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है। जबकि 8 केस में यह भी पता चला है कि पीड़ित लड़की नाबालिग थीं।
14 में से 3 केस ऐसे हैं जिसमें पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी है। दरअसल 18 साल की उम्र पार कर चुकी हिंदू महिलाओं ने आरोपियों के पक्ष में बयान दिया है। इन महिलाओं ने कहा है कि उन्होंने अपनी मर्जी से मुस्लिम युवक से शादी की है।
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आईजी ने यह भी बताया कि जिन 11 केसों में आऱोपियों पर कार्रवाई हुई है उसमें 3 मामले ऐसे भी हैं जिसमें मुस्लिम युवक पर आऱोप है कि उसने अपनी पहचान छिपाई थी। लड़की को इम्प्रेश करने के लिए लड़के ने फर्जी पहचान पत्र औऱ फर्जी कागजात बनवाए थे। इस मामले में पुलिस ने फर्जीगीरी करने का केस आरोपी के खिलाफ दर्ज किया है।
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जांच टीम ने जब इन सभी 11 मामलों की साजिश के एंगल से जांच की तब खुलासा हुआ कि इनमें से सिर्फ 4 ही ऐसे मामले हैं जिसमें मुस्लिम युवक एक-दूसरे को जानते हैं और इसकी वजह यह है कि वो एक ही इलाके में रहते हैं। साजिश की बात जांच में साबित नहीं हो सकी है। 11 में से तीन मामलो में पीड़िता ने दावा किया है उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया और फिर उनकी शादी कराई गई।