वैलेंटाइन डे पर विशेष : सर्वस्व न्योछावर कर देना ही प्रेम है …
डॉ. शुचिता पाण्डेय
मुक्तसर सी जिंदगी में रखा क्या है, अगर इश्क भी यहां ऐब है, तो अच्छा क्या है. फरवरी माह में मौसम ही रूमानियत वाला होता है. उस पर इसी माह में वैलेंटाइन डे भी आता है. मैं इस पर कुछ न लिखूं, ऐसा हो ही नहीं सकता. अब सबके पास बस एक ही तर्क बचता है कि ये तो पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण है. चलिए हम मान लेते हैं कि ये पाश्चत्य सभ्यता की देन है. उन्हीं की ही देन है, पर है तो प्रेम बांटने के लिए ही. तो हम क्यों ना फिजा में घुले हुए इस मौसम को, अपने जीवन में भी आत्मसात कर लें…? अब बात करते है भारतीय संस्कृति की हमारे देश में बसंत को ऋतु राज कहते हैं.
हम बसंत पंचमी को मां सरस्वती की पूजा करते हैं. वैवाहिक शुभ मुहूर्त भी इसी समय होते हैं. चारों तरफ मदहोश करने वाली बयार बहती है. शायद इसीलिए इसे मदांतोत्सव कहते हैं. प्यार के मामले में हम शहरी लोगों से जायदा आदिवासी हमसे दस कदम आगे हैं. छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के आदि वासी वेलेंटाइन डे पर अपने प्यार का इजहार करने के लिए फूलों का सहारा लेते हैं. आधुनिकता के तामझाम से दूर अबूझमादिया जनजाति फूल देने के साथ मेले मड़ई की शुरूआत में बाना, टांगिया और गया देकर भावी जीवन साथी चुनने का संकेत देते हैं.
छत्तीसगढ़ में ऐसा ही भगोरिया मेला लगता है. भगोरिया एक उत्सव जो होली का रूप है. यह मध्य प्रदेश के मालवा अंचल के आदिवासी इलाकों में धूमधाम से मनाया जाता है. भगोरिया के समय धार, झाबुआ, खरगोन आदि क्षेत्रों में हाट बाजार मेले का रूप ले लेते हैं और हर तरफ फाल्गुन और प्यार का रंग बिखरा नज़र आता है. भगोरिया हाट बाजारों में युवक युवतियां बेहद सज धज कर अपने भावी जीवनसाथी को चुनने आते हैं. इनमें आपसी रजामंदी जाहिर करने का तरीका बेहद निराला होता है. सबसे पहले लड़का, लड़की को पान खाने के लिए देता है. यदि लड़की पान खा ले तो हाँ समझी जाती है. इसके बाद लड़का लड़की को लेकर भगोरिया मेले में जाता है और वहां विवाह कर लेता है. इसी तरह लड़का लड़की के गाल पर गुलाबी रंग मल दे, और जवाब में लड़की भी लड़के के गाल पर गुलाबी रंग मल दे तो भी रिश्ता तय माना जाता है.
उत्तराखंड की भोरिया जनजाति में रड-बड विवाह की प्रथा हुआ करती है. जिसमें महिलाओं को अपना वर चुनने का अधिकार हुआ करता है. इस प्रथा में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है और लोग बड़ी मात्रा में हिस्सा लेकर मनचाहा जीवन साथी चुन सकते हैं. यह परंपरा उत्तराखंड में प्राचीन समय से ही महिलाओं की इच्छाओं के मान सम्मान का परिचायक भी है.
ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनसे ये स्पष्ट है कि भारतीय समाज में भी प्रेम को अभिव्यक्त करने के कई तरीके हैं. फिर हम वेलेंटाइन डे पर क्यों इतना हो हल्ला मचाते हैं. एक सवाल मेरे मन में औऱ चल रहा है. आप खुद बताइए कि आपने कब अपने पार्टनर के साथ एक अच्छा टाइम बिताया…?? सभी के पास लगभग एक जैसा जवाब मसलन ‘अरे ये बेवकूफी वाले काम की उम्र नहीं है.’
हमारे एक बहुत मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह की एक गजल की पंक्ति है “न उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन, जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन, नई रीति चला कर तुम ये रीति अमर कर दो” अगर संत वेलेंटाइन ने अपनी प्रेमिका के लिए सात दिन दिए तो क्या बुरा था ? कभी आप भी ये सात दिन अपनी जीवन साथी को देकर तो देखिए. पहले दिन एक गुलाब देकर तो देखिए, आपको खुद महसूस होगा कि आपने इतने सालों में क्या कुछ मिस कर दिया.
प्यार क्या है और कैसे होता है, बचपन से सुनते आ रही हूँ कि प्यार किया नहीं जाता हो जाता है, और अगर प्यार सच्चा हो तो प्यार करने वाले अपने प्यार की आंखों में ही जिंदगी के सारे रंग देख लेते हैं. उसमें ही कायनात की सारी खूबसूरती तलाश लेते हैं. प्यार किसी दिन-समय और वक़्त का मोहताज नहीं है. सच्चा प्यार एक एहसास है जो कुदरत का दिया हुआ एक ऐसा नायाब तोहफा है, जिसे शब्दों में बाँधा नहीं जा सकता.
सच्चा प्यार एक वरदान है, जो जीवन में उमंग और उल्लास का हर रंग भर देता है. सच्चा प्यार एक ऐसा पवित्र रिश्ता है, एक ऐसी सौगात है जिसके बारे में जितना कहा जाए कम है. प्यार के मायने हर उम्र में हर किसी के लिए भले ही अलग–अलग हो सकते हैं, पर प्यार तो प्यार ही होता है, और सच्चा प्यार हर उम्र के इंसान के जीवन में अहमियत रखता है, क्योंकि प्यार ही जिंदगी है. बदलते वक्त के साथ समाज में परिवर्तन होता है और यही परिवर्तन आज प्यार में भी देखने को मिलता है. प्यार की जिस नुमाइश को पहले फूहड़ समझा जाता था, आजकल वह सौंदर्य माना जाता है. पहले जो बातें अश्लीलता की श्रेणी में आती थीं, आज वो बातें मान्य हैं और सोशल साइट्स पर खुलेआम शेयर की जाती हैं.
आज के ज्यादातर युवा सोचते है कि वे प्रेम में डूबे हैं, लेकिन क्या वो सच में प्रेम में डूबे होते हैं या महज उसके मोहपास में बँधे होते हैं. आज के युवा प्रेम को अपने पास रखना चाहते हैं. चाहे इसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े, लेकिन शायद उन्हें यह नहीं मालूम कि जहां मैं और मेरा शुरू हो जाता है, वहां डर, इर्ष्या, भय, घबराहट और चिंता भी शुरू हो जाती है. यह सभी चीजें मिलकर कब प्रेम की हत्या कर देती हैं, पता ही नहीं चलता. आज का युवा वर्ग जिंदगी को भले ही अलग नजरिए से देख रहा हो, लेकिन यह भी सच है कि प्यार हथेली पर रखे पारे की तरह है. यदि आप प्यार को पाना चाहते हैं तो आपको हथेली खुली रखनी होगी, अन्यथा हथेली बंद करने पर प्यार भी पारे की तरह निकल जाएगा.
खलील जिब्रान ने कहा है – आप किसी से प्रेम करते हैं तो, उसे जाने दें. गर वह लौटता है तो आपका है, और यदि नहीं आता तो फिर आपका था ही नहीं. प्यार में कोई जबरदस्ती भी नहीं होती. प्यार में केवल भावनाओं और विचारों का निचोड़ होता है. प्यार में जीवन के सौंदर्य को पहचानना होता है. प्यार में स्वंत्रता होती है, विश्वास होता है. प्यार में न कोई कसम होती है न कोई शर्त होती है. प्यार किसी चीज का मोहताज नहीं होता. प्यार एक तरफा भी होता है. यह कोई जरूरी नहीं कि आप जिससे प्रेम करते हों वो भी आपको प्रेम करे. आप को खुद से प्रेम करने से तो रोका नहीं है, आप उससे प्रेम कीजिए बेइंतहा कीजिए. बिना किसी जोर जबरजस्ती के, बगैर उसको थोपे आप अपनी तरफ से सारे फर्ज निबाहिए बिना किसी स्वार्थ के. सिर्फ ये सोच कर कि प्रेम सिर्फ बांटा जा सकता है. इसके बदले में कुछ चाहिए ये भावना मत लाइए. सही मायने में सच्चे प्यार का मतलब महज़ हासिल कर लेना नहीं, बल्कि अपना सर्वस्व न्योछावर कर देना होता है.
प्रेम केवल आलिंगन नहीं है, चुम्बन नहीं हैं, केवल ये कहना भी प्रेम नहीं है कि मैं तुमसे करता / करती हूँ प्रेम. प्रेम तो सिर्फ़ एक स्मृति है, जो उस थोड़ी झुकी हुई बेंच के रूप में है दर्ज हमारे भीतर,जहाँ कही बैठे थे हम उन सीढ़ियों की स्मृति के रूप में. जहाँ कहीं बैठकर हमने पी थी चाय, कभी या किसी पार्क के सामने गिटार के साथ सुनाया था कोई गीत. अपने-अपने दुःख के बारे में बातें की थी. अपने-अपने सुख को भी साझीदार बनाया था. अगर तुम्हें उस प्रेम को फिर से पाना है कहीं, तो जाओ उस बेंच के पास. जाओ- जाओ उस घास के पास, उन सीढ़ियों के पास – उस मेज़ और कुर्सी के पास. जहां तुम्हारी किताबें बेतरतीब से बिखरी पड़ी हैं और उनके बीच पड़े उसकी दी हुई डायरी में लिख दो आज कि तुम अनायास ही याद आई हो, …और लिख दो उस डायरी में उसका नाम…!!! कहो — कोई नहीं कर सकता तुमसा निस्वार्थ प्रेम… प्रेम केवल स्मृति में नहीं है, वो तो एक दर्द में है – जो टीसता है कभी-कभी ! प्रेम अगर कहीं जीवित है, तो एक ख़्वाब में है… तमाम नश्वर चीज़ों के बीच…!!! प्रेम दरअसल अमरता में है, …किसी तरह की क्षणभंगुरता में नहीं.
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