जुबिली न्यूज डेस्क
26 नवंबर से देशभर के किसान तीन नए कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली सीमा पर जमे हुए हैं। किसान कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं तो वहीं सरकार उनकी मांगे मानने को तैयार नहीं हो रही है। किसानों के आंदोलन से हर दिन सैकड़ों करोड़ का नुकसान हो रहा है बावजूद सरकार झुकने को तैयार नहीं है।
किसानों के आंदोलन से हो रहे नुकसान से एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (ASSOCHAM) ने सरकार और किसानों से अपील करते हुए कहा है कि उसे रोजाना करीब 3500 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है इसलिए वो जल्द से जल्द इसका समाधान निकालें।
एस्सोचैम ने अपने प्रेस रिलीज में कहा कि ये प्रदर्शन देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका हैं। ट्रांसपोटेशन व्यवस्था में परेशानी और अन्य कारणों से रोजाना 3000 से 3500 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
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मालूम हो पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और बागवानी पर आधारित हैं, मगर अन्य उद्योग जैसे फूड प्रोसेसिंग, कपास, वस्त्र, ऑटोमोबाइल सेक्टर, कृषि मशनीनरी और आईटी क्षेत्र इन राज्यों की जीवन रेखा बनकर उभरा हैं। इसके अलावा पर्यटन, व्यापार और परिवहन के अलावा अन्य क्षेत्रों ने इन राज्यों की अर्थव्यवस्था में इजाफा किया है।
ASSOCHAM के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की संयुक्त अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 18 लाख करोड़ रुपए हैं। इस बीच सड़कों पर चल रहे किसानों आंदोलन, नाकाबंदी, टोला प्लाजा, रेलवे गतिविधियों में रुकावट के चलते आर्थिक गतिविधियों में खासी गिरावट आई है।
हीरानंदानी ने कहा कि कपड़ा उद्योग, ऑटो कंपोनेंट, साइकिल और खेल के अन्य सामान के उद्योग जो निर्यात बाजार में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, क्रिसमस से पहले अपने ऑर्डर पूरे करने में सक्षम नहीं होंगे। इससे वैश्विक बाजार में बाजार की अच्छी छवि को नुकसान पहुंचेगा।
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