पॉलिटिकल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। चुनावी दंगल जीतने के लिए राजनीति दल अपनी पूरी ताकत झोंकते नजर आ रहे हैं लेकिन नेताओं के पाला बदलने का खेल भी खूब चल रहा है।
मनचाही सीट के चक्कर में नेताओं क दल बदलने का खेल बदस्तूर जारी है। इसी क्रम में सपा-बसपा के महागठबंधन को तगड़ा झटका तब लगा है जब निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने महागठबंधन से किनारा कर लिया है।
रोचक बात यह है कि निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद कल अखिलेश के साथ प्रेस वार्ता में नजर आये थे लेकिन शुक्रवार को ही उन्होंने पाला बदलते हुए सूबे के मुखिया और बीजेपी के बड़े नेता योगी के साथ नजर आये हैं। इसके बाद सियासी गलियारों में ये खबर जोर पकड़ रही है कि वह बहुत जल्द बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें यूपी में दो सीट दे सकती है। पहले खबर आ रही थी कि वह महाराजगंज की सीट पर सपा के चुनाव चिन्ह से संजय निषाद चुनावी मैदान में उतरने वाले थे लेकिन अब उन्होंने पाला बदल लिया है।
संजय निषाद आखिर क्यों महागठबंधन से अलग हुए
संजय निषाद के इस कदम के बाद महागठबंधन के बिखराव का खतरा बढ़ गया है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव व बसपा प्रमुख मायावती पर उपेक्षा का आरोप लगाकर महागठबंधन से किनारा किया है। जानकारी के मुताबिक निषाद पार्टी महागठबंधन से तीन सीटें चाह रही थी। गोरखपुर सीट पर राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.संजय निषाद के पुत्र प्रवीण सांसद हैं। यह सीट वह सपा के सिंबल पर जीते हैं।
माना जा रहा था कि महराजगंज संसदीय सीट डॉ.संजय निषाद पार्टी की सिंबल पर लड़ना चाहते थे लेकिन समाजवादी पार्टी से बात नहीं बन पा रही थी। इतना ही नहीं सपा अपने सिंबल पर दोनों सीटों पर निषाद पार्टी के उम्मीदवारों को खड़ा करना चाहती है। दो दिन पहले ही इस बाबत दोनों दलों की बात हुई लेकिन निषाद पार्टी संतुष्ट नहीं हुई।
अखिलेश ने क्या कहा था
उधर कल अखिलेश ने प्रेस वार्ता में कहा था कि महा गठबंधन में सपा-बसपा-आरएलडी में निषाद पार्टी के आने से यूपी में महापविर्तन देखने को मिलेगा।