प्रीति सिंह
जिस तरह से राजनीतिक दलों की रूचि सोशल मीडिया में बढ़ी है उससे ऐसा लग रहा है कि आने वाले समय में पूरा चुनाव सोशल मीडिया पर ही लड़ा जायेगा। वर्तमान में जिस तरह राजनीतिक दल सोशल मीडिया के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में लगे हुए हैं उससे तस्वीर साफ है कि आने वाले चुनावों में राजनतिक दलों का नया ठौर सोशल मीडिया होगा।
चुनाव आयोग ने निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए बैनर-पोस्टर और लाउडस्पीकर पर भले ही रोक लगा दिया हो लेकिन राजनीतिक दल सोशल मीडिया के सहारे अपना प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इसके लिए वह बड़ी कीमत भी दे रहे हैं।
दरअसल भारत में इंटरनेट क्रांति की वजह से ऐसा हो रहा है। जिस गति से इंटरनेट यूजर्स की संख्या बढ़ रही है उसकी वजह से राजनीतिक दल से लेकर अन्य लोग भी अपने प्रचार-प्रसार के लिए इस माध्यम को चुन रहे हैं। वर्तमान में देश की 40 फीसदी आबादी इंटरनेट का यूज कर रही है। जाहिर है जनता को साधने के लिए यह माध्यम सुलभ और आसान है।
गूगल में विज्ञापनों पर खर्च करने के मामले में भाजपा सबसे आगे
सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल राजनीतिक दलों में बीजेपी कर रही है। बीजेपी फेसबुक के साथ-साथ गूगल में विज्ञापनों पर अच्छा खासा पैसा खर्च कर रही है। इससे पहले रिपोर्ट आई थी कि भाजपा समर्थक फेसबुक पेजों ने दो हफ्ते में प्रचार पर डेढ़ करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
अब गूगल पर विज्ञापन का ब्यौरा आया है। ‘भारतीय पारदर्शिता रिपोर्ट के अनुसार गूगल में विज्ञापनों पर खर्च करने के मामले में भाजपा ने सभी राजनीतिक दलों को पीछे छोड़ दिया है। विज्ञापनों पर खर्च करने के मामले में कांग्रेस छठे नंबर पर है, जिसने विज्ञापनों पर 54,100 रुपये खर्च किए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक दलों और उनसे संबंद्ध घटकों ने फरवरी 2019 तक विज्ञापनों पर 3.76 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। भारतीय जनता पार्टी विज्ञापनों पर 1.21 करोड़ रुपये खर्च करने के साथ ही इस सूची में शीर्ष पर है, जो कि गूगल पर कुल विज्ञापन खर्चों का लगभग 32 प्रतिशत है।
रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के बाद इस सूची में आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी है जिसने विज्ञापनों पर कुल 1.04 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। ‘पम्मी साई चरण रेड्डी’ (प्रचारक) ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों के प्रचार के लिए 26,400 रुपये खर्च किए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि तेलुगू देसम पार्टी (तेदेपा) और उसके प्रमुख चंद्र बाबू नायडू का प्रचार करने वाली ‘प्रमाण्य स्ट्रेटजी कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड’ 85.25 लाख रुपये खर्च करने के साथ इस सूची में तीसरे नंबर पर है। नायडू का प्रचार करने वाली एक अन्य पार्टी ‘डिजिटल कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड’ 63.43 लाख रुपये का खर्च कर चौथे नंबर पर है। गूगल ने अपनी विज्ञापन नीति के उल्लंघन के कारण 11 में से चार राजनीतिक विज्ञापनदाताओं के विज्ञापन को ब्लॉक कर दिया है।
देश में मतदाताओं की स्थिति
इस बार चुनाव में 90 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। इस बार योग्य मतदाताओं की सूची में 8.5 करोड़ नए मतदाता जुड़ गए हैं। इसमें 1.5 करोड़ उन मतदाताओं की संख्या है जिनकी उम्र 18 से 19 साल है और ये लोग पहली बार वोट डालेंगे। भारत की दो तिहाई आबादी की उम्र 35 वर्ष से कम है।
भारत की जो दो तिहाई आबादी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती है, दरअसल राजनीतिक दलों के निशाने पर वहीं है। उसी वोट बैंक को रिझाने की खातिर वहां अपना प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। यह भी तय है कि यह माध्यम कारगर भी साबित हो रहा है, क्योंकि जो दिखता है वही बिकता है। दरअसल आज युवाओं की दुनिया मोबाइल तक सिमट के रह गई है। वहीं से उनको जो जानकारी मिल रही है उसी पर वह विश्वास भी कर रहे हैं। इसी का फायदा राजनीतिक दल उठा रहे हैं।
इंटरनेट के प्रभाव का असर ही है कि लगभग सभी राजनीतिक दलों का अपना आईटी सेल है, जो फेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब के माध्यम से पार्टी और नेताओं का प्रचार-प्रसार कर रही है। बीजेपी तो सबसे ज्यादा इसका इस्तेमाल कर रही है। हाल में बीजेपी ने अपने प्रचार-प्रसार के लिए टीवी चैनल तक लांच कर दिया। हालांकि राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं।
49.30 करोड़ लोग इंटरनेट का करते हैं नियमित उपयोग
भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। वर्तमान में करीब 57 करोड़ लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। यह कुल आबादी का 40 प्रतिशत है। बाजार शोध एजेंसी कंटर आईएमआरबी की हलिया रिपोर्ट के मुताबिक देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या में 18 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज की गई और ये दिसंबर 2018 तक बढ़कर 56.60 करोड़ पर पहुंच गई।
अनुमान जताया जा रहा है कि 2019 के अंत तक यह आंकड़ा 62.70 करोड़ पर पहुंच जाएगी। इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट का इस्तेमाल बढऩे से पहली बार देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 56.60 करोड़ के पार हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें 87 प्रतिशत यानी 49.30 करोड़ लोग इंटरनेट का नियमित उपयोग करने वाले हैं।
नियमित उपयोगकर्ता उन लोगों को कहा जाता है जिन्होंने पिछले 30 दिन में इंटरनेट का इस्तेमाल किया हो। करीब 29.30 करोड़ नियमित उपयोगकर्ता शहरी क्षेत्रों में हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 20 करोड़ नियमित इंटरनेट उपयोग करने वाले शामिल हैं। पिछले साल ग्रामीण क्षेत्र में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 35 प्रतिशत बढ़ी है। कुल इंटरनेट यूजर्स में महिलाओं की भी 42 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
भारत में हैं सबसे ज्यादा फेसबुक यूजर्स
फेसबुक अपने आप में एक बड़ी दुनिया है। फेसबुक सोशल मीडिया क्षेत्र पर सबसे ज्यादा हावी है। एक रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक यूजर्स की संख्या के मामले में भारत पहले नंबर पर है। भारत में फेसबुक यूजर्स की संख्या 240 मिलियन के पार पहुंच गई है। हर दिन इसमें इजाफा ही हो रहा है। युवाओं में इसका खासा क्रेज है। शायद इसीलिए भारत के आधे से अधिक फेसबुक यूजर्स की उम्र 25 से कम है।
चूंकि फेसबुक पर युवा वर्ग ज्यादा सक्रिय है तो इन्हें साधने के लिए राजनीतिक दल इस मंच का इस्तेमाल कर रहे हैं। करोड़ों रुपए खर्च कर अपना प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इस मंच का इस्तेमाल करने में बीजेपी सबसे आगे हैं लेकिन यह तय है कि आने वाले समय में अन्य राजनीतिक दल भी इस्तेमाल करने से गुरेज नहीं करेंगे।