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लोकपाल सदस्य जस्टिस दिलीप बी भोंसले ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। खबरों के मुताबिक भोसले ने अपने निजी कारणों से यह पद छोड़ा है। उन्होंने पिछले साल देश के पहले लोकपाल जस्टिस पिनाकी घोष की अगुवाई वाले पैनल में लोकपाल कमिटी में पदभार ग्रहण किया था।
उनके साथ ही लोकपाल कमेटी में जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी और जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी को भी सदस्य नियुक्त किया गया था।
दरअसल लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत कुछ श्रेणियों के सरकारी सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। इस कानून को 2013 में पारित किया गया था। पिछले साल मार्च में जस्टिस पिनाकी घोष को देश के पहले लोकपाल के तौर पद ग्रहण किया था।
जस्टिस पिनाकी घोष साल 2017 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं। लोकसभा कमेटी में सभी नियुक्तियों की सिफारिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली चयन समिति ने की थी इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उसे मंजूरी दी थी।
लोकपाल कानून के अनुसार इस समिति में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य हो सकते हैं। इनमें से चार न्यायिक सदस्य होंगे, कम से कम 50 फीसदी सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाएं होनी चाहिए। चयन के बाद अध्यक्ष और सदस्य पांच साल या 70 साल की आयु तक पद पर रह सकते हैं।