न्यूज डेस्क
भारतीय जनता पार्टी की हर तरफ बल्ले-बल्ले है। जिस तरह लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटों में इजाफा हुआ है उसी तरह उसकी सम्पत्ति में भी 22 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं कांग्रेस का हाल लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन की ही तरह है।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी की वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान कुल सम्पत्ति 1213.13 करोड़ रुपये थी, वह वो 2017-18 के वित्त वर्ष में बढ़कर 1483.35 करोड़ रुपये हो गई है। बीजेपी की सम्पत्ति में कुल 22 फीसदी का इजाफा हुआ है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
इस रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2016-17 से 2017-18 के बीच सात राष्ट्रीय दलों (भाजपा, कांग्रेस, एनसीपी, बसपा, भाकपा, माकपा और टीएमसी) द्वारा घोषित संपत्तियों, देनदारियों और पूंजी का विश्लेषण किया गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016-17 के दौरान सात राष्ट्रीय दलों की कुल औसत संपत्ति 465.83 करोड़ रुपये थी, जो 2017-18 में बढ़कर 493.81 करोड़ रुपये हो गई। इनमें से सबसे ज्यादा 22 फीसदी बढ़ोतरी भाजपा की संपत्ति में हुई है। वहीं, देश के सबसे पुराने राष्ट्रीय दल कांग्रेस की संपत्ति में 15.26 फीसदी की गिरावट आई है।
2016-17 में 854 करोड़ संपत्ति वाली कांग्रेस की संपत्ति 2017-18 में घटकर 724 करोड़ रुपए हो गई। कांग्रेस के अलावा एनसीपी की संपत्ति भी इस दौरान कम हुई है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 11.41 करोड़ रुपये की संपत्ति 16.39 प्रतिशत घटकर 9.54 करोड़ रुपये हो गई है।
इसके अलावा ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की संपत्ति में भी दस फीसदी की बढ़त हुई है। 2016-17 वित्त वर्ष के दौरान पार्टी की कुल संपत्ति 26.25 करोड़ रुपये थी, जो अगले वित्तीय वर्ष में 29.10 करोड़ रुपये हो गई है।
वहीं मायावती की बसपा की संपत्ति में भी बढ़ोत्तरी हुई है। 2016-17 में यह 680.63 करोड़ रुपये थी, जो 2017-18 बढ़कर 716.72 करोड़ रुपये हो गई है। माकपा की संपत्ति में भी बढ़त हुई है, 2016-17 के 463.76 करोड़ रुपये से बढ़कर पार्टी की कुल संपत्ति 482.1 करोड़ रुपये हो गई।
इस बीच भाकपा की संपत्ति भी साल 2016-17 के 10.88 करोड़ रुपये के मुकाबले बढ़कर 11.49 करोड़ रुपये हो गई है।
एडीआर ने इन राष्ट्रीय दलों की देनदारियां (लायबिलिटीज) भी बताई हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित देनदारियां कुल 514.99 करोड़ रुपये थीं, जिसका प्रति दल औसत 73.57 करोड़ रुपये है।
वित्त वर्ष 2017-18 में सबसे अधिक देनदारी कांग्रेस ने घोषित की है, जो 324.20 करोड़ रुपये है। इसके बाद भाजपा ने 21.38 करोड़ रुपये और टीएमसी ने 10.65 करोड़ रुपये की देनदारी अपनी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट में दिखाई है।
वित्त वर्ष 2016-17 और 2017-18 के दौरान चार राष्ट्रीय दलों ने अपनी देनदारियों में कमी के बारे में बताया है। इसमें कांग्रेस ने 137.53 करोड़ रुपये, माकपा ने 3.02 करोड़ रुपये, एनसीपी ने 1.34 करोड़ रुपये और टीएमसी ने 55 लाख रुपये की कमी देनदारियों में घोषित की है।
वहीं, भाजपा, भाकपा और बसपा ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अपने देनदारियों की राशि में वृद्धि घोषित की है।
इसके अलावा रिपोर्ट में राष्ट्रीय दलों की पूंजी (कैपिटल) के बारे में भी बताया गया है। 2016-17 में राष्ट्रीय दलों की कैपिटल राशि कुल 2745.81 करोड़ रुपये थी, जो 2017-18 में बढ़कर 3082.04 करोड़ रुपये हो गई।
वित्त वर्ष 2017-18 में भाजपा ने सबसे अधिक 1461.97 करोड़ रुपये की पूंजी घोषित की। उसके बाद बसपा ने 714.97 करोड़ रुपये और माकपा ने 479.58 करोड़ रुपये की पूंजी की घोषणा की।
इसी वित्त वर्ष के दौरान सबसे कम पूंजी भाकपा ने- 1.43 करोड़ रुपये और एनसीपी ने 5.86 करोड़ रुपये घोषित की।