जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में बेहद कम दिन रह गया है। जहां एक ओर मोदी जीत की हैट्रिक लगाने को बेताब है तो दूसरी ओर विपक्ष उनको रोकने के लिए इंडिया गठबंधन का निर्माण कर चुका है।
इंडिया गठबंधन में पूरा विपक्ष एक हो गया है और मोदी को रोकने का दावा कर रहा है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए देश का सियासी मौसम लगातार बदल रहा है।
संसद में जहां एक ओर घमासान मचा हुआ तो दूसरी तरफ चुनाव में कैसे जीत हासिल की जाये उसके लिए रणनीति तेज हो गई है। इन सब के बीच विपक्षी इंडिया गठबंधन की भी दिल्ली में बैठक हुई।
इंडिया गठबंधन में मायावती शामिल नहीं है और अखिलेश यादव भी चाहते हैं कि इस गठबंधन में मायावती की एंट्री न हो। इस वजह से अखिलेश यादव ने कांग्रेस से तल्ख सवाल किए तो वहीं राहुल गांधी ने भी पार्टी ने अपने जवाब से तस्वीर साफ कर दी थी। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश प्रदेश कांग्रेस बसपा को गठबंधन में शामिल करना चाहती है लेकिन समाजवादी पार्टी किसी भी तरह से बसपा को इंडिया गठबंधन में नहीं देखना चाहता है। राजनितिक सूत्र बता रहे है कि समाजवादी पार्टी को लगता है कि उत्तर प्रदेश के प्रातिनिधि के तौर पर गठबंधन में बसपा के आने के बाद उसकी भूमिका कमजोर पड़ सकती है।
नजदीकी सूत्रों से ये भी पता चला है कि लोकसभा चुनाव की 80 में से 65 सीटों सपा अकेले चुनाव लडऩा चाहती है और कांग्रेस को सीट देना चाहती है जबकि 5 सीटें राष्ट्रीय लोक दल के हिस्सा देने के मुड़ में है।
सपा को लगता है कि अगर लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव का जादू चल गया था तो नेशनल पॉलटिक्स में उनका कदम बढ़ेंगा और अगर बसपा इसमें शामिल होती है सपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा सकता है। इस वजह से सपा नहीं चाहती है कि इंडिया गठबंधन में मायावती की किसी तरह की भूमिका हो।
इससे पहले मायावती ने विपक्ष को ये नसीहत भी दी थी बसपा प्रमुख मायावती ने INDIA गठबंधन पर कहा कि जो भी विपक्षियां पार्टियां इस गठबंधन में नहीं हैं, उन पार्टियों को लेकर किसी को भी फिजूल की टीका-टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने इंडिया गठबंधन को दूसरी विपक्षी पार्टियों को लेकर टीका-टिप्पणी से बचने की नसीहत दी। बसपा प्रमुख ने ये भी कहा कि मेरी सलाह है कि इन लोगों (इंडिया गठबंधन) को इससे बचना चाहिए। क्योंकि भविष्य में देश हित में कब किसको किसकी जरुरत पड़ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। फिर ऐसे लोगों और ऐसी पार्टियों को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। खास तौर पर सपा इसका उदाहरण है।