केंद्रीय गृहमंत्री और लखनऊ संसदीय सीट से बीजेपी उम्मीदवार राजनाथ सिंह आज को नामांकन करेंगे। लखनऊ लोकसभा सीट पर नामांकन के लिए केवल दो दिन बचे हैं।
लखनऊ में पांचवें चरण में 6 मई को मतदान होगा। नामांकन पत्र 10 अप्रैल से दाखिल होने शुरू हो गए हैं। नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 18 अप्रैल है।
बीजेपी ने इस सीट से मौजूदा सांसद और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन उनके खिलाफ मजबूत प्रत्याशी उतारने का दम भरने वाला गठबंधन और कांग्रेस, फिलहाल दोनों ही असमंजस में हैं।
दरअसल, दो दशक से ज्यादा वक्त से बीजेपी का गढ़ बन चुकी इस सीट पर राजनाथ के खिलाफ कोई दिग्गज उतरने को तैयार नहीं है। बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों दल किसी बड़े चेहरे की तलाश में हैं। स्थानीय दावेदारों के नामों पर भी विचार हो रहा है।
सपा से पूनम सिन्हा की उम्मीदवारी को लेकर कई दिनों से अटकलें लगाई जा रही है। उनके नाम पर मुहर न लगी तो किसी ब्राह्मण चेहरे को उतारने की चर्चा है। कुछ नेताओं की कोशिश है कि लखनऊ सीट पर गठबंधन के प्रत्याशी को कांग्रेस का भी समर्थन मिले।
गठबंधन में यह सीट सपा के खाते में
सपा-बसपा-रालोद गठबंधन में यह सीट सपा के खाते में है। सपा ने अब तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। सपा से फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा के नाम की चर्चा है। कायस्थ परिवार की बहू और सिंधी की बेटी की होने के नाते उन्हें दोनों समाज का समर्थन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। कुछ लोगों ने जया बच्चन को उम्मीदवार बनाने का सुझाव दिया है। जया फिलहाल राज्यसभा सदस्य हैं। सपा फिलहाल किसी भी विधायक, राज्यसभा सदस्य या विधान परिषद सदस्य को अपना उम्मीदवार नहीं बना रही है।
2014 में ये थी रणनीति
सपा नेताओं का कहना है प्रत्याशी के संबंध में अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव एक-दो दिन में करेंगे। लखनऊ से पूनम सिन्हा के अलावा किसी ब्राह्मण चेहरे की भी तलाश है। राजधानी में ब्राह्मण वोटों की तादाद अच्छी-खासी है। कांग्रेस ने भी अभी तक यहां से कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है।
कुछ लोगों का प्रयास है कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त प्रत्याशी उतारा जाए। कांग्रेस के कुछ नेता इसके पक्षधर भी हैं। उनका कहना है कि इससे भाजपा को टक्कर दी जा सकती है।
पिछली बार राजनाथ के सामने कांग्रेस, सपा व बसपा, तीनों दलों में ब्राह्मण और आम आदमी पार्टी ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारा था। सूत्रों का कहना है कि ज्यादा उम्मीद किसी कायस्थ या ब्राह्मण को चुनाव लड़ाने की है। संयुक्त उम्मीदवार उतारने को लेकर फिलहाल सपा-कांग्रेस में सहमति नहीं बनी है।