पॉलिटिकल डेस्क
बीजेपी जानती है कि यूपी फतह के बिना दिल्ली की कुर्सी संभव नहीं है। यदि यूपी फतह हो गया तो दिल्ली में सरकार बनाना आसान होगा, लेकिन सपा- बसपा गठबंधन और प्रियंका की सक्रियता ने बीजेपी के माथे पर बल ला दिया है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी का चुनावी समीकरण बिगड़ गया इसका अंदाजा सभी नेताओं को है लेकिन स्वीकार करने में थोड़ा हिचक रहे हैं। शायद इसीलिए नेताओं के बयान में भी मतभेद भी दिख रहा है। कोई 74 पार की वकालत कर रहा है तो कोई 50 की।
योगी का दावां यूपी में बीजेपी 74 से ज्यादा सीटे जीतेगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार 74 पार की बात कर रहे हैं। बड़े ही आत्मविश्वास से वह कहते हैं कि अब की उत्तर प्रदेश में बीजेपी 74 सीटें जीतेगी। उनके अलावा और नेता भी यही जुमला बोल रहे हैं, लेकिन पिछले दिनों एक चैनल पर साक्षात्कार के दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह के एक जवाब से बीजेपी में हलचल मच गई। उन्होंने कहा कि मेरा आंकलन है कि गठबंधन के कारण यूपी में भाजपा को 15 से 20 सीटों का अधिकतम नुकसान हो सकता है। हो सकता है न भी हो। इस नुकसान की भरपाई भाजपा पश्चिम बंगाल,उड़ीसा और दक्षिण भारत से करेगी।
सपा-बसपा और रालोद गठबंधन की वजह से उसे कोई नुकसान नहीं होगा : भाजपा नेतृत्व
भाजपा नेतृत्व कितना भी दावा करें कि सपा-बसपा और रालोद गठबंधन की वजह से उसे कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन अंदर खाने चिंता बढ़ी हुई है। नाम न छाप ने की शर्त पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता का कहना है कि देखिए बहुमत तो हमे मिलेगा लेकिन उत्तर प्रदेश में पार्टी को नुकसान तो होगा ही। खासकर पश्चिम में। पूर्वांचल में भी थोड़ा समीकरण गड़बड़ा सकता है।
उत्तर प्रदेश में बूथ स्तर पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पिछले दो साल से लगे हुए थे। बीजेपी अपने जीत को लेकर आश्वास्त थी और हवा भी बीजेपी के पक्ष में थी, लेकिन अचानक से सपा-बसपा के साथ आ जाने की वजह से यूपी की सियायत में नया ट्विस्ट आ गया। विधानसभा चुनाव में भले ही यहां की जनता को अखिलेश और राहुल का साथ पसंद नहीं आया लेकिन मतदाता बहन जी और अखिलेश का साथ पसंद कर रहे हैं। इसकी पुष्टि कई सर्वें में हो चुकी है। ज्यादादूर जाने की जरूरत नहीं है। योगी के गढ़ और बीजेपी के पारंपरिक सीट गोरखपुर, केशव मौर्या की सीट फूलपुर और कैराना के उपचुनाव में मतदाताओं को सपा-बसपा का साथ पंसद आया था, इसलिए बीजेपी की चिंता बढऩा जायज है।