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Lok Sabha Election : जानें राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट का इतिहास

पॉलिटिकल डेस्क

राबर्ट्सगंज सोनभद्र जिले में आता है। यूपी को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला यह जिला1989 में अस्तित्व में आया। राबर्ट्सगंज सोनभद्र का प्रशासनिक मुख्यालय है और इसका नाम अंग्रेज अफसर फेड्रिक रोबर्ट्स के नाम पर राबर्ट्सगंज पड़ा है।

सोनभद्र देश का इकलौता ऐसा जिला है जो चार राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड और बिहार) से घिरा हुआ है। वाराणसी से 90 किमी दूर राबर्ट्सगंज रेनू और सोन नदियों के किनारे पर बसा है। सोनभद्र की पहाडिय़ों में चूना और कोयला होने की वजह से इसे उद्योग का स्वर्ग बन गया है। यहां पर देश की सबसे बड़ी सीमेंट फैक्ट्री, थर्मल और हाइड्रो बिजली घर, एल्युुमिनियम और केमिकल की कई फैक्ट्रियां है।

आबादी / शिक्षा

राबर्ट्सगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में यूपी विधानसभा की पांच सीटें आती हैं जिसमें चकिया, ओबरा, घोरावल, दुद्धी और राबर्ट्सगंज शामिल है। इसमें चकिया और दुद्धी की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

2011 की जनगणना के अनुसार सोनभद्र में 3,33 लाख परिवार रहते हंै। जिले की कुल जनसंख्या 18.62 लाख है जिनमें पुरुषों की संख्या 9.71 लाख और महिलाओं की संख्या 8.91 लाख है। 16.88 प्रतिशत लोग अनुसूचित जाति और 20.67 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के है। उत्तर प्रदेश के लिंगानुपात 912 के मुकाबले सोनभद्र में प्रति 1000 पुरुषों पर 918 महिलायें है।

यहां की औसत साक्षरता दर 52.92 प्रतिशत है जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 61.97 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर 43.06 प्रतिशत है। यहां मतदाताओं की कुल संख्या 1,639,074 है जिसमें महिला मतदाता 737,885 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 901,147है।

राजनीतिक घटनाक्रम

राबर्ट्सगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक है। यह यूपी की 80वीं लोकसभा सीट है। यूपी को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला यह जिला1989 में अस्तित्व में आया। अस्तित्व में आने के बाद से ही यह लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है।

1962 में यहां पहली बार चुनाव हुए। 1962-1971 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राम स्वरुप ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की। 1977 में जनता पार्टी के शिव संपत्ति राम यहां के सांसद बने। 1980 और 1984 में कांग्रेस के राम प्यारे पनिका ने जीत दर्ज की। 1989 में कांग्रेस की नजर तीसरी जीत पर थी मगर भारतीय जनता पार्टी के सूबेदार प्रसाद ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

1991 में जनता दल के राम निहोरे ने सूबेदार प्रसाद को हरा दिया। 1996 से 1999 तक भारतीय जनता पार्टी के राम शक्ल ने लगातार तीन बार इस सीट पर कब्जा किया। 2004 में लालचंद ने जीत दर्ज की और रोबर्ट्सगंज में बहुजन समाज पार्टी का सालों लंबा जीत का इंतजार खत्म किया।

2007 में हुए उपचुनावों में बसपा के भाईलाल ने सपा के पकौड़ी लाल को हराकर फिर से यह सीट जीती। 2009 में पकौड़ी लाल ने समाजवादी पार्टी को राबर्ट्सगंज में पहली बार जीत दिलाई। वर्तमान में यहां से भारतीय जनता पार्टी के छोटेलाल सांसद है।

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