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Lok Sabha Election : जानें कुशीनगर लोकसभा सीट का इतिहास

पॉलिटिकल डेस्क

भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी की परिनिर्वाण भूमि ‘कुशीनगर’ पूरे विश्व के आकर्षण का केन्द्र है। यहां पूरे साल पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। कुशीनगर का इतिहास अत्यंत ही प्राचीन और गौरावशाली रहा है।

यह क्षेत्र बुद्ध और गुप्तकाल के कई प्राचीन चीजों को खुद में समेटे हुए है। ऐसा नहीं की यह भूमि के जैन और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए महत्व रखता है बल्कि यह हिन्दुओं के लिए भी खास है।

किदवंती है कि वाल्मीकि रामायण के अनुसार कुशीनगर भगवान श्रीराम के पुत्र कुश की राजधानी थी, और इसका नाम कुशावती था। कुशीनगर इसलिए भी खास है क्योंकि उत्तर भारत का इकलौता सूर्य मंदिर तुर्कपट्टी में है।

ऐसा माना जाता है की विवाह के बाद जनकपुर से अयोध्या लौटने के क्रम में भगवान श्रीराम आये थे और पडरौना से दस किलोमीटर दूर पूरब से होकर बह रही बांसी नदी को अपने साथियों के साथ पार किया था। आज भी बांसी नदी के घाट को ‘रामघाट’ के नाम से जाना जाता है।

आबादी/ शिक्षा

कुशीनगर लोकसभा में उत्तर प्रदेश विधानसभा की पांच सीटें आती है जिसमें खड्डा, हाटा, पडरौना, रामकोला और कुशीनगर शामिल है। 2011 की जनगणना के अनुसार कुशीनगर में 5,61,062 घर है और यहां की कुल आबादी 35,64,544 लाख है जिनमें पुरुषों की संख्या 18,18,055 और महिलाओं की 17,46,489 है।

उत्तर प्रदेश के लिंगानुपात 912 के मुकाबले कुशीनगर में प्रति 1000 पुरुषों पर 961 महिलाएं है। कुशीनगर में मतदाताओं की कुल संख्या 1,680,992 है जिसमें महिला मतदाता 750,240 और पुरुष मतदाता 930,637 हैं।

राजनीतिक घटनाक्रम

कुशीनगर संसदीय सीट पर पहली बार 2009 में आम चुनाव हुए जिनमे कांग्रेस के रंजीत प्रताप नारायण ने जीत दर्ज की और कुशीनगर के पहले सांसद बने। वर्तमान में यहां से भारतीय जनता पार्टी के राजेश पाण्डेय उर्फ गुड्ड सांसद है।

पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए राजेश पाण्डेय वर्तमान में लोकसभा की परिवहन, पर्यटन और संस्कृति सम्बन्धी स्थाई समिति के सदस्य है।

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