गिरीश चंद्र तिवारी
डुमरियागंज लोकसभा सीट भले ही कम चर्चित लोकसभा सीट है, लेकिन पूर्वांचल के दिग्गज नेताओं में शुमार किए जाने वाले जगदम्बिका पाल के कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी में आने और 2014 के आम चुनाव में जीत हासिल करने के बाद यह प्रदेश के अहम सीटों में शुमार हो गया है। सांसद जगदम्बिका पाल को एक दिन का सीएम भी कहा जाता है।
इस क्षेत्र में सारे प्रत्याशी चुनावी मैदान में आ गये हैं और अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को लुभाने में लगे हुए हैं। मतदाता भी चुनावी बयार का आनंद ले रहे हैं। सबका अपना विचार है लेकिन घूम फिरकर सब विकास की बात करते हैं। सुबह और शाम को जुटने वाले चौपाल में सबसे ज्यादा चर्चा किसी नेता की है तो वह हैं जगदंबिका पाल।
क्षेत्र के मतदाता इस बार मोदी की वजह से नहीं सांसद जगदंबिका पाल की व्यक्तिगत छवि पर उन्हें वोट देना चाहती है। उनका मानना है कि वह जमीनी नेता है और वह हर समय जनता के लिए उपलब्ध रहते हैं। उन्होंने काम भी कराया है। दरअसल पाल लंबे समय से यहां राजनीति में सक्रिय है इसीलिए वह अपने क्षेत्र के बारे में बखूबी जानते हैं।
सिद्धार्थनगर जिले के कई गांवों के चौपाल में लोगों से बातचीत हुई। इन गांवों में आधे से ज्यादा की पसंद जगदंबिका पाल है तो बाकी सपा-बसपा गठबंधन। नौगड़ से 15 किमी दूर गांव करौती है। यहां क्षत्रिय आबादी ज्यादा है।
अंबरीश सिंह (50)कहते हैं देखों मोदी ने बहुत काम किया है। मोदी की छोडि़ए जगदंबिका पाल के काम को देखिए। उन्होंने बहुत काम किया है। वह क्षेत्र के बारे में सब कुछ जानते हैं। रंजन सिंह (40)कहते है कि हम लोग वोट काम देखकर और नेता का व्यवहार देखकर देते हैं। हम अपने काम के लिए दिल्ली थोड़े ही जायेंगे। हम तो अपने सांसद विधायक के पास ही जायेंगे।
वहीं, यादव बाहुल्य गांव पिपरा भड़ेहर में लोगों की राय थोड़ी भिन्न थी। यहां यादव के अलावा दलित, पासी आदि जाति के लोग भी रहते हैं। राम समुझ (58) का कहना है कि इस क्षेत्र में नेताओं का दोहरा व्यवहार रहता है। लोग बिरादरी देखकर विकास कराते हैं। इसलिए हम लोग सपा-बसपा गठबंधन को वोट देंगे। वहीं जियावन पॉल (42) कहते हैं हमारे क्षेत्र में विकास हुआ है। यहां के सभी नेता हमारी सुनते है। जिसको मौका नहीं मिला है उसके बारे में हम क्या आंकलन करेंगे।
यज्ञराम (32) कहते हैं कि मेरे तो आजतक समझ में नहीं आया कि कौन सा विकास हुआ है। बिना पैसा दिये पुलिस नहीं सुनती। खेतीबाड़ी का काम कराना है तो लेखपाल को पैसे दो। तहसील में बिना पैसे के एक हस्ताक्षर नहीं मिलता। मेरी तो एक ही बिनती है कि भ्रष्टाचार खत्म करवा दो। हमारी जिदंगी आसान हो जायेगी। वहीं बुकनिहा, गायघाट, मधुवनिया और परैया गांव की चौपाल में कई बाते सुनने को मिली। लोगों के जेहन सवाल तो कई हैं लेकिन जब मतदान की बात आती है तो जाति-धर्म हावी हो जाता है।
श्यामू गुप्ता, बलराम यादव, अनूप पांडे, अनिल अग्रहरि, अशोक पासवान, दिनेश यादव, राहुल जी और मुश्ताक अहमद ने एक स्वर में बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा का मुद्दा उठाया। इनका कहना है कि हमारे क्षेत्र में विकास हुआ है। लेकिन हमें रोजी-रोटी देने वाली सरकार चाहिए। भ्रष्टïाचार को खत्म करने वाली सरकार चाहिए।
सामाजिक ताना-बाना
सिद्धार्थ नगर जिले में पडऩे वाला डुमरियागंज तहसील है और जिले का एक नगर पंचायत शहर है। 2011 की जनगणना के अनुसार नगर पंचायत शहर की आबादी 30,698 है जिसमें 15,776 पुरुष और 14,922 महिलाएं हैं। जातिगत आधार पर 87 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग की है, जबकि अनुसूचित जाति की 12 फीसदी यहां रहती है। धर्म के आधार पर देखा जाए तो यहां पर 54 फीसदी आबादी हिंदुओं की है जबकि 43त्न आबादी मुस्लिमों की है।