पॉलिटिकल डेस्क
1857 के विद्रोह के दौरान मैनपुरी की भूमिका काफी अहम थी। मैनपुरी यादव बाहुल्य क्षेत्र है। मैनपुरी प्राचीन काल में कन्नौज महा साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। इस राज्य की समाप्ति के बाद ये कई छोटी रियासतों में बंट गया, जिसमें से रापारी और भोंगाओ मुख्या थे। 1194 में इस मुस्लिम राज्यपाल का सीट बना दिया गया। 1526 में मुगल आक्रमण के समय यहां मुगल शासन हो गया। कुछ समय के लिए यह क्षेत्र अफगान वंश के शासक शेर शाह द्वारा हथिया लिया गया, जो कुछ वर्षों बाद ही उसने पानीपत की लड़ाई में मुगल शासक हुमायूं के हाथों खो दिया।
आबादी/ शिक्षा
2,745 वर्ग किलोमीटर में फैले इस क्षेत्र की जनसंख्या 1,868,529 है, जिसमें से 53 प्रतिशत पुरुष और 47 प्रतिशत महिलाएं। यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 868 महिलाएं हैं। यहां की औसत साक्षरता डर 76 प्रतिशत है। जहाँ कुल 84.53 प्रतिशत पुरुष साक्षर हैं तो वहीं केवल 66.30 प्रतिशत महिलाएं ही साक्षर हैं।
यहां का जनसंख्या घनत्व 677 प्रति 1000 वर्ग किलोमीटर है। यहां मतदाताओं की कुल संख्या 1,653,058 है जिसमें महिला मतदाता 752,461 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 900,568 है।
राजनीतिक घटनाक्रम
मैनपुरी लोकसभा सीट देश में हुए पहले चुनाव के समय से ही चर्चा में रही है। 952 से लेकर 1971 तक हुए देश में कुल 5 चुनाव में यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।
हालांकि, 1977 की सत्ता विरोधी लहर में जनता पार्टी ने कांग्रेस को मात दी थी, पर अगले ही साल 1978 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने सीट वापस ले ली। उसके बाद 1980 में कांग्रेस से सीट छिनी पर 1984 की लहर में फिर वापस आई। 1984 में यहां कांग्रेस को आखिरी बार जीत नसीब हुई थी, जिसके बाद से ही ये सीट क्षेत्रीय दलों के कब्जे में रही है।
साल 1989 और 1991 में इस सीट पर जनता दल ने कब्जा किया, लेकिन 1992 में पार्टी गठन करने के बाद मुलायम सिंह यादव ने यहां से 1996 का चुनाव यहां से लड़ा और बड़े अंतर से जीता भी। उसके बाद 1998, 1999 में भी ये सीट समाजवादी पार्टी के पास ही रही।
2004 में मुलायम सिंह दोबारा यहां के सांसद बने, पर कुछ ही महीनों बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया, जिसकी वजह से 2004 में मैनपुरी में उपचुनाव हुए जिसमें इन्ही के भतीजे धर्मेन्द्र यादव विजयी रहे। 2009 में तीसरी बार मुलायम सिंह मैनपुरी के सांसद बने। मोदी लहर में भी 2014 के चुनाव में भी मुलायम ने यहां से जीत दर्ज कर अपने पोते तेजप्रताप सिंह यादव को ये सीट दे दी।