पॉलिटिकल डेस्क
हमीरपुर, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। हमीरपुर जिला चित्रकूट धाम बांदा मंडल का हिस्सा है। यह जिला बुन्देलखण्ड के अंतर्गत आता है। यह कानपुर के दक्षिण में यमुना नदी के तट पर स्थित है। यह नगर एक कृषि व्यापार केंद्र है। यह शहर यमुना और बेतवा नदियों के संगम पर बसा है। सिंहमहेश्वरी मंदिर (संगमेश्वर मन्दिर), चौरादेवी मंदिर, बांके बिहारी मंदिर, मेहर बाबा मंदिर, साईं दाता आश्रम यहां के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। दिल्ली से हमीरपुर की दूरी 419.9 किलोमीटर और लखनऊ से हमीरपुर की दूरी 983 किलोमीटर है। इस जिले में 4 तहसीलें हमीरपुर, मौदहा, राठ और सरीला हैं।
आबादी/ शिक्षा
2011 की जनगणना के अनुसार हमीरपुर की जनसंख्या 1,104,021 है। इस लोकसभा क्षेत्र में यूपी की पांच विधानसभा सीटें आती है जिसमें हमीरपुर, राठ, महोबा, चरखारी और तिंदवारी शामिल है। इसमें राठ विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। हमीरपुर की आबादी का 91.46 प्रतिशत हिस्सा हिन्दू धर्म जबकि 8.26 प्रतिशत हिस्सा मुस्लिम धर्म में आस्था रखता है। हमीरपुर निर्वाचन क्षेत्र 1967 में अस्तित्व में आया था। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय में भी इस जगह भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हमीरपुर में प्रति 1000 पुरुषों पर 876 महिलायें है। हमीरपुर की साक्षरता दर 68.77 प्रतिशत है जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 79.76 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर 55.95 प्रतिशत है। वर्तमान में यहां के कुल मतदाताओं की संख्या 1,737,993 है जिसमें महिला मतदाता 788,636 और पुरुष मतदाता की संख्या 949,328 है।
राजनीतिक घटनाक्रम
हमीरपुर में पहली बार 1952 में चुनाव हुआ। 1952 से लेकर 1971 तक इस सीट पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दबदबा रहा है। 1977 में यहां की जनता ने कांग्रेस को नकार कर भारतीय लोकदल पर विश्वास दिखाया। 1980 में कांग्रेस ने वापसी की और 1984 में भी विजय पताका फहराया। 1989 में जनता दल ने जीत दर्ज की।
1991 में विश्वनाथ शर्मा ने भारतीय जनता पार्टी को हमीरपुर में पहली जीत दिलाई इसके बाद बीजेपी यहां लगातार तीन बार जीत दर्ज की और 1998 तक यह सीट उसके ही पास रही। 1999 में बसपा ने यहां कब्जा किया तो वहीं 2004 में यहां की जनता ने सपा प्रत्याशी को चुना। 2009 में यह सीट वापस बसपा के पास आ गई, लेकिन साल 2014 में इस सीट पर भाजपा ने कब्जा कर लिया।