स्पेशल डेस्क
पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। कोरोना वायरस से बचने के लिए लोगों को घरों में रहने के लिए कहा जा रहा है। लॉकडाउन के दौरान कुछ ऐसी घटनायें हुई है जो शायद नहीं होनी चाहिए थी। चाहे स्वास्थ्य विभाग की टीम पर हमला हो या फिर पुलिस को निशाना बनाना हो।
खुद पीएम मोदी भी कह चुके हैं कि कोरोना को हराना है तो लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग को मानना होगा लेकिन फिर भी कुछ लोग लॉकडाउन का मजाक बना रहे हैं। लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाने की खबरे लगातार आ रही है। एक ओर जहां उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ पिता के निधन पर लॉकडाउन की वजह से अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुई।
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बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता का निधन सोमवार हुआ था। वह अंतिम बार अपने पिता के दर्शन भी नहीं कर सके। योगी आदित्यनाथ ने फैसला लिया था कि वह लॉकडाउन के नियमों का पालन करेंगे और अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए। दूसरी ओर कुछ उन्हीं के पार्टी के लोग लॉकडाउन को मुंह चिढ़ा रहे हैं।
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अभी हाल में ही भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी व भाजपाइयों ने मिलकर सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक बनाया था। दरअसल सत्ता और शासन के कुछ लोग अपनी हनक का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। उधर कर्नाटक हाल ही एक भव्य शादी हुई। दरअसल यहां पर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी की शादी लॉकडाउन के दौरान हुई है।
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उधर शासन में बैठे कुछ लोग अपने आपको कानून से ऊपर समझ रहे हैं। बिहार के अररिया में जिला कृषि पदाधिकारी हरकत भी सवालों के घेरे में है। दरअसल चौकीदार ने उनकी गाड़ी को रोककर पास दिखाने को कहा तो जिला कृषि पदाधिकारी गुस्से में आ गए।
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इतना ही नहीं सबके सामने कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार ने चौकीदार से उठक-बैठक कर डाली है। हालांकि अब उनके खिलाफ जांच बैठा दी गई है।दूसरी ओर लॉकडाउन का पालन सख्ती से हो लेकिन मोदी सरकार लॉकडाउन को लेकर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियमों को छूट दे रही है।
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चार ऐसे राज्य है जहां पर बीजेपी की सरकार है लेकिन वहां पर लॉकडाउन के नियमों को ताक पर रखा जा रहा है।
उत्तराखंड, गुजरात, कर्नाटक व यूपी इस समय लॉकडाउन को लेेकर चर्चा में आ गया है। इतना ही नहीं इसकों लेकर कोरोना काल में पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस भी देखने को मिल रही है। इन राज्यों में लॉकडाउन को लेकर भेदभाव देखने को मिल रहा है।
सोशल मीडिया पर इस बाद को लेकर खूब चर्चा हो रही है और कहा जा रहा है कि अमीरों या प्रभावीशाली लोगों को विमान या सुविधाजनक फ्री बस-सेवा से उनके घर पहुंचाया गया है जबकि जो गरीब मजदूर दूसरे राज्यों में फंसा है उसको लाठियों से पीटा जा रहा है और लॉकडाउन का पालन करने की नसीहत तक दी जा रही है।
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सबसे पहला मामला गुजरात और उत्तराखंड में देखने को मिला। जानकारी के मुताबिक 27 मार्च को उत्तराखंड में लॉकडाउन के दौरान गुजरात के 1500 लोग फंसे थे लेकिन इन लोगों को लग्जरी बसों से वापस गुजरात भेज दिया गया जबकि लॉकडाउन में कहा गया है कि जो जहां वहीं रहे लेकिन ऐसा हुआ नहीं और लॉकडाउन को नजरअंदाज किया गया।
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केंद्र ने इस मामले में दोनों राज्यों से कुछ भी जवाब तलब नहीं किया है। सवाल केवल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि दोनों जगह बीजेपी सरकार है। उधर कुमार स्वामी के बेटे की शादी समारोह में लॉकडाउन को ताक पर रखा गया है। मजे की बात यह है कि इस शादी में खुद कर्नाटक के सीएम येदुरप्पा भी पहुंचे थे। यहां पर किसी पर कोई एक्शन नहीं लिया गया और न कोई सवाल-जवाब हुआ है।
यूपी में लॉकडाउन को भले ही सख्ती से पालन करने की बात कही जा रही हो लेकिन कुछ मामलों में योगी सरकार ने इनको लाने के लिए लॉकडाउन को जरूरी नहीं समझा। योगी सरकार ने 16 अप्रैल को बसों को कोटा रवाना कर उन्हें वापस लाया गया। इसको लेकर बिहार में सियासत भी खूब हुई। नीतिश और तेजस्वी यादव आमने-सामने आ गए है। हालांकि यूपी में योगी इस फैसला की तारीफ की गई है। उधर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजस्थान के कोटा ये यूपी सरकार द्वारा अपने छात्रों को वापस लाए जाने का विरोध किया है। उन्होंने इस बारे में पीएम मोदी से बातचीत भी की है।
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हेमंत सोरेन ने कहा कि मेरी बात प्रधानमंत्री जी से हुई है. मैंने कहा है कि हमारी समस्या हमारे सहयोगी मित्रों द्वारा बड़ा दी जाती है. क्क सरकार जिस तरह से छात्रों को कोटा से लाई है, अब मेरे पास भी बहुत छात्रों और उनके पेरेंट्स के फोन आ रहे हैं और मैं कुछ नहीं कर पा रहा हूं. मैंने प्रधानमंत्री जी से कहा है कि एक देश में दो तरह के नियम कैसे हो सकते हैं। अब प्रधानमंत्री जी को देश के सामने अपनी बाते रखनी चाहिए कि लॉकडाउन में कोई राज्य कैसे मनमानी कर सकता है।
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कुल मिलाकर देखा जाये तो सरकार एक तरफ सख्ती से लॉकडाउन का पालन करने की बात कह रही है लेकिन कुछ जगहों पर उसके नियम फेल हो जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर अब केवल यही सवाल है लॉकडाउन को लेकर सरकार के दो तरह के नियम क्यों