- 2018 में हुई एक गणना के अनुसार काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 2,413 एक सींघ वाले गैंडे हैं
- तालाबंदी के शुरू होने के बाद उद्यान के अंदर और उसके आस-पास जानवरों के अवैध शिकार की कोशिशें बढ़ी
न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए हुए लॉकडाउन से जहां जानवरों को लेकर कुछ सकारात्मक खबरें आ रही थी, वहीं अब इनसे जुड़ी कुछ नाकरात्मक खबरें भी आ रही है।
दरअसल लॉकडाउन की वजह से उद्यानों के पास वाले राज्यमार्ग पर वाहनों का आना-जाना कम हो गया है। जिसके चलते जानवर सड़कों पर घूमने लगे हैं और इसी का फायदा अवैध शिकार करने वाले उठा रहे हैं।
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लॉकडाउन की वजह से असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में रहने वाले जानवरों के लिए भी खतरा बढ़ गया है। उद्यान के अधिकारियों का कहना है कि तालाबंदी के शुरू होने के बाद उद्यान के अंदर और उसके आस-पास जानवरों के अवैध शिकार की कोशिशें बढ़ गई हैं। वहां हाल ही में एक दुर्लभ एक सींघ वाले गैंडे को मार दिया गया।
काजीरंगा उद्यान में एक सींघ वाले गैंडों की विश्व में सबसे बड़ी आबादी रहती है। 2018 में हुई एक गणना के अनुसार यहां 2,413 एक सींघ वाले गैंडे हैं।
लॉकडाउन में उद्यान के पास वाले राज्यमार्ग पर वाहनों की कमी की वजह से जानवर उद्यान की सीमाओं तक चले जा रहे हैं और उनका शिकार करना आसान हो जा रहा है।
उद्यान के निदेशक पी शिवकुमार ने बताया, “हमें शक है कि इस गैंडे को कम से कम दो या तीन दिन पहले मारा गया होगा। गैंडे का सींघ गायब है। शिवकुमार ने यह भी बताया, “हमें एके 47 बंदूक के खाली कारतूसों के आठ राउंड भी मिले हैं।”
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गैंडे के एक सींघ से शिकारी ब्लैक मार्केट में डेढ़ लाख डॉलर या लगभग 60,000 डॉलर प्रति किलो कमा सकते हैं। चीन की पारंपरिक इलाज पद्धत्तियों में गैंडे के सींघ का इस्तेमाल होता है और इस वजह से विदेश में इसकी बहुत मांग हैं।
उद्यान के निदेशक पी शिवकुमार ने बताया कि गैंडे का शव उद्यान में एक पानी के स्रोत के पास मिला और इसकी अवैध शिकार की एक घटना के रूप में पुष्टि हो चुकी है।
मालूम हो कि काजीरंगा यूनेस्को में सूचीबद्ध एक धरोहर स्थल है। अधिकारियों का कहना है कि यहां यह एक साल में अवैध शिकार का पहला मामला है। हालांकि बीते वर्षों में ऐसे कई मामले देखे गए हैं।
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काजीरंगा उद्यान के गैंडों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने एक विशेष फोर्स भी गठित की है। 25 मार्च को लागू हुए लॉकडाउन के बाद से उद्यान के अंदर और उसके आस-पास अवैध शिकार की कोशिशें बढ़ गई हैं। अधिकारियों के मुताबिक अप्रैल में इन दुर्लभ जानवरों को मारने की पांच से भी ज्यादा कोशिशों को उद्यान के रेंजर्स ने विफल कर दिया।
इस इलाके में एक सींघ वाले गैंडे कभी बहुतायत में हुआ करते थे, लेकिन शिकार और हैबिटैट के खोने से अब इनकी संख्या सिर्फ कुछ हजारों में रह गई है। इनमें से लगभग सब के सब असम में ही हैं। काजीरंगा ही अब इनका मुख्य ठिकाना है जहां इन्हें आश्रय मिलता है।
काजीरंगा 850 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसकी स्थापना 1908 में हुई थी जब असम दौरे पर गईं तत्कालीन ब्रिटिश वाइसराय की पत्नी ने शिकायत की थी कि वहां तो एक भी गैंडा नहीं है। अब उद्यान में गैंडों में अलावा बाघ, हाथी और तेंदुए भी रहते हैं।
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