जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. कई साल मुकदमा चलने के बाद जब एक बुज़ुर्ग को इन्साफ मिला तो आँखों में खुशी के आंसू भरे हुए बुज़ुर्ग बोला जुग-जुग जियो जज साहब, भगवान तुम्हें दरोगा बना दे. वकील ने बुज़ुर्ग को समझाया कि जज साहब दरोगा से बहुत बड़े साहब हैं. बुज़ुर्ग बोला पता नहीं वकील साहेब. जज साहेब आज जो फैसला सुनाये हैं ना यही फैसला दरोगा जी 20 साल पहले सुनाये दे रहे थे वो भी पांच सौ रुपये में.
यह किस्सा रविवार को नक्खास में साप्ताहिक बाज़ार लगाने आये व्यापारियों के साथ नक्खास चौकी इंचार्ज की बातचीत के दौरान अचानक से याद आ गया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार का लॉकडाउन हटा दिया है और सब कुछ पहले जैसा कर दिया है लेकिन साप्ताहिक बाज़ार लगाने वालों से चौकी इंचार्ज ने कहा कि बाज़ार नहीं लगाने दूंगा. जाकर पुलिस कमिश्नर से लिखवाकर लाओ.
व्यापारी चौक कोतवाली गए तो कोतवाल ने कहा कि दुकान लगाई तो मुकदमा कायम कर दूंगा. दूर-दूर से सामान बेचने आये व्यापारियों को दरोगा चालान कर देने की धमकी देते रहे. आधी दुकानें लगीं और आधी दुकानें नहीं लग पाईं.
साप्ताहिक बाज़ार के व्यापारियों के दो गुट हैं. दोनों की अपनी-अपनी यूनियनें हैं. एक गुट ने कल ही पुलिस अधिकारियों से मुलाक़ात कर आज दुकानें लगवाने की प्रार्थना की थी. दूसरा गुट पुलिस के पास नहीं गया था. आज दोनों गुट थाना और चौकी के बीच दिन भर फ़ुटबाल बने रहे.
मजेदार बात यह है कि साप्ताहिक बाज़ार का मामला मुख्यमंत्री से लेकर लखनऊ के डीएम, महापौर और नगर आयुक्त सबके संज्ञान में है. डीएम के निर्देश पर नगर आयुक्त इसकी पड़ताल करा रहे हैं कि कहाँ-कहाँ बाज़ार नहीं लग पा रही है. शनिवार का लॉकडाउन खत्म होते ही सदर में बाज़ार सज गया था मगर नक्खास का बाज़ार दरोगा जी के आदेश के बगैर नहीं लग पाएगा.
साप्ताहिक बाज़ार के व्यापारियों ने आज शाम बैठक कर इस मामले को मुख्यमंत्री के दरबार में उठाने का फैसला किया है.
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