स्पेशल डेस्क
लखनऊ। कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। इस वजह पूरी दुनिया थम गई है। लॉकडाउन के बाद से शिक्षा का मंदिर भी बंद पड़ा है। ऐसे में छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है लेकिन ये उतना कारगार है नहीं है।
सीबीएसई, सीआईएससीई और यूपी बोर्ड ने लॉकडाउन के बाद ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की है लेकिन यह उम्मीद के मुताबिक सफल होती नजर नहीं आ रही है क्योंकि कुछ लोगों के पास स्मार्ट फोन नहीं है। उनके पास अभी केवल फीचर फोन (पुराना मॉडल) है।
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इस समय कई स्कूलों में डिजिटल क्लास चल रही है लेकिन नेटवर्क ने ऑनलाइन पढ़ाई का बेड़ा गर्क कर दिया है। कई बच्चों को यूट्यूब वीडियो भी समझ में नहीं आ रहा है। इस वजह से बच्चों के अभिभावकों को ऑनलाइन पढ़ाई रास नहीं आ रही है ।
अभिभावकों की मानें तो जब बच्चों की ऑनलाइन क्लास होती है तो उनपर उनकी नजर होती है लेकिन इस दौरान उन्हें महसूस हो रहा है कि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई समझ में नहीं आ रही है। हालांकि अभिभावकों का कहना है कि शिक्षक खुद अपना वीडियो बनाकर बच्चों को पढ़ायेंगे तो ज्यादा फायदा होगा।
शिक्षा विभाग की माने तो यूपी बोर्ड स्कूलों में कुल करीब 4.50 लाख बच्चे हैं और 15 प्रतिशत बच्चे इस समय ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। शिक्षा विभाग का तो यहां तक कहना है कि 486 स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है।
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उधर यूपी बोर्ड स्कूलों में पढ़ाई कुछ खामियां सामने आ चुकी है। जानकारी के मुताबिक कुछ बच्चों ने हंसी-मजाक में ग्रुप पर कुछ भी वीडियो शेयर करने की बात भी सामने आ रही है।
एक अभिभावक कहना है कि आनलाइन पढ़ाई ठीक है लेकिन नेटवर्क और वीडियो डाउनलोड होना में सबसे बड़ी परेशानी का सबब बनी हुई है। कई अभिभावकों की शिकायत है कि ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए बिजली होना बेहद जरूरी है लेकिन गर्मी आने से बिजली का आना-जाना लगा रहता है।
इस वजह से मोबाइल चार्ज नहीं हो पाता है और ऑनलाइन पढ़ाई में समस्या आती है। इसके साथ ही स्कूलों ने पढ़ाई का स्वरूप बदला है। ऐसे में पढ़ाई जूम ऐप, स्काईप, गूगल और वेबिनार से हो रही है लेकिन जूम ऐप को लेकर सरकार ने चेताया था।
इसके बाद से अभिभावक और खुद स्कूलों शिक्षक भी डर गए है। कई शिक्षकों का मानना है कि जूम ऐप के बारे में सुनकर थोड़ा डर लग रहा है क्योंकि यह प्लेटफॉर्म की सुरक्षा को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। भारत सरकार ने जूम की सेवाओं को लेकर सतर्कता परामर्श जारी किया है।
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दूसरी ओर ऑनलाइन पढ़ाई में सबसे बड़ी परेशानी आ रही है मां-पिता का तकनीक ज्ञान न होना। इस वजह से बच्चों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालांकि स्कूलों ने लिखित सामग्री व्हाट्स ऐप, स्कूल वेबसाइट के माध्यम से लोगों को भेज रही है लेकिन तकनीकी ज्ञान के अभाव में बच्चों का इसका खामियाजा भुकतना पड़ रहा है।
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वहीं लॉकडाउन के दौरान कई शिक्षक अपने घर लौट गए है। कुछ शिक्षकों के गांव में फंसे होने की बात भी सामने आ रही है। इस वजह से वहां से ऑनलाइन पढ़ाना इन शिक्षकों के बस में नजर नहीं आ रहा है।
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सरकार दूरदर्शन के माध्यम से उत्तर प्रदेश पर 26 अप्रैल की सुबह 11: 30 बजे से पठन-पाठन की शुरुआत की है। इतना ही नहीं आकाशवाणी पर आओ अंग्रेजी सीखें और मीना रेडियों का प्रसारण शुरू कर दिया गया है लेकिन कुछ लोगों के पास अब भी टीवी नहीं है। इसके आलावा अगर टीवी है तो बिजली नहीं है। कुल मिलाकर लॉकडाउन की वजह से हर चीज पर असर पड़ रहा है।