न्यूज डेस्क
एक ओर कोरोना महामारी और दूसरी ओर लॉकडाउन। दुनिया के अधिकांश देश एक जैसे हालात का सामना कर रहे हैं। सभी देशों में इस महामारी की वजह से अस्पतालों और स्वास्थ्यकर्मियों का पूरा ध्यान कोरोना मरीजों पर केंद्रित है, जिसकी वजह से दुनिया में 10 करोड़ से अधिक बच्चों पर खसरे का खतरा मंडरा रहा है।
कोरोना से लड़ाई के चलते कई देशों ने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया है। 14 अप्रैल को वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस पर चिंता जताई है। अब तक नाइजीरिया, मेक्सिको और कंबोडिया सहित 24 कम और मध्यम आय वाले देशों ने इस तरह के कार्यक्रमों को रोक दिया है।
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बच्चों को बचाने के लिए टीकाकरण कार्यक्रम चलाए जा रहे थे। खसरा और रूबेला पर रोकथाम के लिए एक कंसोर्टियम है, जिसके सदस्यों में यूनिसेफ, अमेरिकन रेड क्रॉस, विश्व स्वास्थ्य संगठन शामिल हैं। इसमें संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन का रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र भी है।
अमीर देशों के मुकाबले इन कम आय वर्ग वाले देशों में काफी कम संख्या में बच्चों के माता-पिता आमतौर पर क्लीनिक या निजी अस्पतालों में इस तरह की वैक्सीन के लिए नहीं जाते हैं। ये देश बड़ी संख्या में नवजातों और बच्चों को सरकारी अस्पतालों में ही टीका लगवाते हैं।
यूनिसेफ के लिए टीकाकरण के प्रमुख डॉ. रॉबिन नंदी ने स्वीकार किया कि कोविड -19 के चलते खसरा जैसी बीमारियों से बचाव के टीके लगाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि कोरोना के चलते संक्रमण फैलने का डर है।
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