जुबिली स्पेशल डेस्क
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार में राज्यसभा की सीट खाली है। जानकारी के मुताबिक इस सीट पर 14 दिसम्बर को चुनाव होना है।
इसके साथ ही तीन दिसम्बर को इस सीट के लिए नामांकन होना है। हालांकि अब बड़ा सवाल है इस सीट पर क्या बीजेपी अपने कोटे से लोक जनशक्ति पार्टी को देती है या फिर किसी और को राज्यसभा भेजती है।
उधर इस सीट पर लोजपा फिर अपने पाले में चाहती है। रामविलास पासवान की पत्नी रीना पासवान का नाम सबसे आगे आ रहा है।
लोजपा भी यही चाहती है कि रीना पासवान को राज्यसभा भेजा जाये लेकिन शायद ही नीतीश की पार्टी इसपर राजी हो। चिराग पासवन ने अभी तक इस मुद्दे पर किसी तरह का बयान नहीं दिया है। हालांकि उनकी पार्टी की तरह से इसको लेकर प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
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लोकजन शक्ति पार्टी के मीडिय प्रभारी ने इसपर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए साफ कर दिया है कि रीना को राज्यसभा भेजना ही पासवान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसके लिए उसने पीएम मोदी ने इस सीट की गुहार लगायी है।
हालांकि यह इतना आसान नहीं लग रहा है। बिहार विधान सभा चुनाव में नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले चिराग पासवन को अब इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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बिहार विधान सभा चुनाव के बाद से चिराग के एनडीए के साथ पहले जैसा संबंध नहीं रहा है। ऐसे में शायद ही रीना पासवान को राज्यसभा भेजने पर एनडीए राजी हो। नीतीश की पार्टी जेदयू भी इसका खुलकर विरोध कर सकती है।
तो इस वजह से रीना पासवन की राह आसान नहीं
जानकारी के मुताबिक इस सीट के लिए किसी भी गठबंधन के पास विधानसभा में बहुमत का होना जरूरी है।भाजपा को अपने कोटे की इस सीट को बचाने के लिए जदयू की मदद की दरकार होगी।
अगर रीना पासवन को बीजेपी भेजने का मन बनानी है तो जेदयू की मदद जरूरत होगी। लेकिन विपक्ष अगर कोई प्रत्याशी खड़ा करता है तो रोचक हो सकता है चुनाव।
दअरलस 243 सदस्यीय विधानसभा में जीत उसी की हो सकती है, जिसे प्रथम वरीयता के कम से कम से कम 122 वोट मिलेंगे। हालत यह है कि कोई भी दल अकेले इस अंक के आसपास भी नहीं है।
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ऐसे में गठबंधन के सहयोगी दलों का साथ जरूरी है। भाजपा को अपने कोटे की इस सीट को बचाने के लिए जदयू की मदद की दरकार होगी। जाहिर है, ऐसी स्थिति में कोई ऐसा प्रत्याशी ही जीत का हकदार हो सकता है, जिसे राजग के सभी चारों घटक दल पसंद कर सकें। ऐसे में लोजपा के लिए राह आसान नहीं होगी।
हालांकि सुशील मोदी के नाम पर मोहर लग सकती है। सुशील मोदी के नीतीश कुमार से अच्छे रिश्ते रहे हैं। ऐसे में उनको राज्यसभा भेजा जा सकता है। नीतीश कुमार से उनके करीबी रिश्ते को देखते हुए जदयू को उनके नाम पर कोई आपत्ति नहीं होगी। अब देखना होगा कि क्या रीना पासवन को लेकर जदयू हामी भरेगी या नहीं।