जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन कर्मियों ने आंदोलन की मुहिम फिर से छेड़ दी है। अनिश्चित कालीन कार्य बहिष्कार पर 75 के 75 जिले कार्य बहिष्कार करके अपने बकाया लाभों, मांगों को लेकर अड़ गए हैं।उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन कर्मचारी यूनियन और समस्त जनपदों द्वारा ज्ञापन सौंपकर पूर्व चेतावनी अनुसार अनिश्चित कालीन कार्य बहिष्कार का एलान कर दिया था। आज आंदोलन के 10 वें दिन भी 75 जनपदों को एक साथ कार्य बहिष्कार पर रहने से ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित यह योजना अपनो की ही बेरुखी से हासिये पर नजर आ रही है।
क्योकि दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में समूचे प्रदेश में इस योजना को बल देने वाले समस्त जिला मिशन प्रबंधक, ब्लॉक मिशन प्रबंधक, कंप्यूटर ऑपरेटर सहित समस्त मिशन कर्मी कार्य बहिस्कार पर हैं, और अपना डेरा आंदोलन स्थल लखनऊ के ईको गार्डन में एकत्रित जमाए हुए है। आपको बताते चलें की आंदोलन को तेज होता देख मिशन मुख्यालय के आला अधिकारियों ने मिशन मुख्यालय में दो बार वार्ता करके यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश मोघा की अगुवाई में प्रतिनिधि मंडल को कार्य बहिष्कार को खत्म करने हेतु दबाव बनाया जा चुका है।
लेकिन यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष ने साफ तौर पर कह दिया है की जब तक धरातल पर हमारे लंबित लाभ हमे प्राप्त नहीं हो जाते तब तक हम पीछे हटने वाले नहीं है हांला की मिशन मुख्यालय के आला अधिकारियों का कहना है की समस्त मिशन कर्मी कुछ वक्त और दे दें और अपने कार्य बहिस्कार को खत्म करके वापस काम पर आ जाएं लेकिन कई हर बार मिशन मुख्यालय से इस प्रकार के झूठे आश्वासन मिलने से मिशन कर्मियों में रोष व्याप्त है और इस बार कोरे आश्वाशन पर यकीन कर लिया जाए इसका उनके पार कोई कारण नहीं है।
ईको गार्डन में समस्त जनपदों से मिशन कर्मियों का तांता लगा हुआ है। सभी जिलों के मिशन कर्मी अपनी मांगों को लेकर धरने पर अड़े हुए हैं। वहीं प्रदेश अध्यक्ष योगेश मोघा ने आंदोलन को और तेज गति देने की बात कहते हुए बताया की मिशन मुख्यालय के आला अधिकारी हमारी मांगों को लेकर शुरू से ही उदासीन हैं और शासन तक हमारी बात को पहुंचने नहीं दे रहे।
मिशन में बैठे आला अधिकारी शासन में बैठे जनप्रतिनिधियों। को गुमराह कर रहे हैं जब की हमारी मानव संसाधन नियमावली में साफ़ तौर पर जो मांगे हम मांग रहे हैं उनका जिक्र है। इसके बाद भी मिशन के आला अधिकारी गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी से अपील करते हुए सुध लेते हुए एचआर पॉलिसी में निहित मांगों/लाभों को को पूरी करने की बात कही है अब देखना है की आखिर कब तक प्रदेश सरकार इनकी पीड़ा को सुनती है।
क्या है मिशन कर्मियों की मांगे
प्रदेश की 1,20,55000/ महिलाओं को स्वरोजगार, आत्मनिर्भरता, कौशल विकास के लिए स्वयं सहायता समूहों से जोड़ते हुए तथा समृद्धि का दावा करने वाली प्रदेश सरकार इन महिलाओं के प्रति समर्पित कार्यकर्ता के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों को मिलने वाले हित लाभ को पिछले 9 सालों से अधिकारियों की लापरवाही या अकर्मठता की वजह से लटकाये हुए हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत कार्यरत समस्त कर्मचारियों को उनके नियुक्ति के समय से प्रतिवर्ष 7% प्रतिवर्ष वार्षिक वेतन वृद्धि दिया जाना था जो पिछले 10 सालों से लंबित है। इसी क्रम में सभी कर्मचारी का मेडिकल इंश्योरेंस तथा एक्सीडेंटल बीमा पॉलिसी भी लंबित है।
अपने घर ,परिवार, समाज से दूर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए उनके परिवार के नजदीक काम करने की सुविधा – ट्रांसफर पॉलिसी भी लंबित है।
बीमा पॉलिसी के अभाव में अपनी जान गंवा चुके कर्मचारियों के परिवार को मिलने वाली प्रतिपूर्ति तथा उनकी अनुपस्थिति में उनके परिवार के सदस्य को सरकार द्वारा आश्रित रोजगार की भी व्यवस्था नहीं है।
ये भी पढ़ें-मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नए सीएम में क्या है कॉमन!
सभी कार्मिकों को एच आर पॉलिसी के अनुसार पूर्व में प्रदत्त अलाउंसेस जो पिछले 5 वर्षों से बंद कर दिए गए हैं,जिसकी वजह से उनके प्रभावी वेतन पहले से भी कम हो गया है।भत्यो को पुनः चालू किया जाना है और बकाया का भी भुगतान किया जाना हैं। बिना किसी ठोस आधार के बाहर निकाले गए कर्मचारियों को पुनः कम पर वापस लिया जाए।