जुबिली न्यूज डेस्क
भारतीय सेना के अग्निवीर योजना को मानने से परहेज कर रहे नेपाल के 15 हजार गोरखा सैनिक रूसी सेना में शामिल हुए हैं और यूक्रेन से युद्ध लड़ रहे हैं। यूक्रेन में इन नेपाली सैनिकों की जिंदगी नरक बन गई है। नेपाली सैनिक अब रूसी सेना में शामिल होकर यूक्रेन में युद्ध लड़ने के फैसले पर पछता रहे हैं।
बता दे कि भारतीय सेना में रास्ते बंद होने के बाद अब उनके पास विकल्प भी नहीं है। एक माडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूसी सेना में शामिल एक गोरखा सैनिक ने बताया कि वह अफगानिस्तान युद्ध तक लड़ चुका है लेकिन नेपाल में कोई नौकरी नहीं थी और इसी वजह से वह रूसी सेना में शामिल हुआ। अब वह यूक्रेन आने के फैसले पर पछता रहा है।
15 हजार नेपाली सैनिक शामिल
सैनिक ने बताया कि वह बखमुत में तैनात था जहां एक भी इंच जमीन बम हमले से नहीं बची थी। इसी जगह पर यूक्रेन और रूसी सेना में सबसे खूनी जंग हुई थी। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में पेड़ से लेकर घर तक सब तबाह हो गए। वहां इतने भयानक हालात हो गए थे आपको रोना आ जाए। खड़का दो बार में करीब एक महीने तक बखमुत में रहे। दूसरी उनको गोली तक लग गई। रिपोर्ट के मुताबिक रूसी सेना में 15 हजार नेपाली सैनिक शामिल हैं। ये सभी रूस सरकार के पैसे के बदले जॉब ऑफर के बाद वहां पहुंचे हैं।
भारतीय सेना में रुकी गोरखा सैनिकों की भर्ती
रूस की सरकार ने ऐलान किया है कि वह कम से कम 2 हजार डॉलर हर महीने पैकेज दे रही है और उन्हें रूसी पासपोर्ट देने का वादा कर रही है। इसके विपरीत नेपाली सरकार का दावा है कि 200 नेपाली नागरिक ही रूसी सेना के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। इनमें से कम से कम 13 की लड़ाई में मौत हो गई है।
वहीं नेपाल के मानवाधिकार गुटों और सांसदों का कहना है कि प्रचंड सरकार ठीक-ठीक आंकड़े छिपा रही है। नेपाली विपक्षी सांसद और पूर्व विदेश मंत्री बिमला राय पौडयाल गुरुवार को संसद में कहा कि 14 से 15 हजार नेपाली यूक्रेन में युद्ध के मोर्चे पर लड़ रहे हैं।
पौडयाल ने यह आंकड़ा वहां से लौट रहे नेपाली गोरखा सैनिकों के हवाले से बताया है। उन्होंने कहा कि रूस सरकार के पास यह आंकड़ा होगा कि कितने विदेशी लड़ाके उनकी सेना में शामिल हैं। इसमें कितने नेपाली सैनिक हैं। नेपाल के विदेश मंत्रालय के मुताबिक यूक्रेन की कैद में अभी 4 नेपाली युद्धबंदी हैं जो रूस की ओर से लड़ रहे थे।
नेपाली मानवाधिकार कार्यकर्ता कृति भंडारी ने कहा कि रूसी सेना में शामिल कम से कम 2 हजार परिवारों ने हाल के दिनों में उनके साथ संपर्क किया है। आलम यह है कि कई नेपाली सैनिकों के रूस से शव तक नहीं आ पाए हैं।
नेपाली गोरखा सैनिक के पास कोई चारा नहीं बचा
कई हिंदू सैनिकों को वहां दफना दिया गया लेकिन उनके परिवार वाले अंतिम संस्कार करना चाहते हैं। नेपाल सरकार ने रूस से गुहार लगाई है लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है। भारतीय सेना ने जब से अग्निवीर योजना शुरू की है, तब से अपनी दिलेरी के लिए मशहूर नेपाली गोरखा सैनिक भर्ती नहीं हो रहे हैं। उनके पास अब रूस जैसे युद्धग्रस्त इलाकों में जाने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है।