जुबिली न्यूज़ डेस्क
जीवन जीना एक कला है. यह तो आपने सुना ही होगा साथ ही अपने आस-पास कई तरह के लोगों को देखा होगा। कुछ लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर भी बहुत परेशान और तनाव में रहते हैं जबकि कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो बड़ी से बड़ी मुसीबत के वक़्त भी बड़े शांत और मस्त रहते हैं।
हमें लगता है कि ऐसा हमारे स्वभाव के कारण होता है जिसे बदला नहीं जा सकता लेकिन सच तो ये है कि हमारा स्वभाव हमारी आदतों की परिणति होता है और आदतें हमारे दृष्टिकोण से बनती-बिगड़ती रहती हैं। इसलिए अगर आप छोटी-छोटी बातों पर दुखी हो जाते हैं तो अब अपनी इस आदत को बदल डालिए।
सोचिए यदि सब्जी में नमक ज्यादा डल गया तो खाने में दिक्कत हो सकती है लेकिन क्या इस समस्या का कोई विकल्प नहीं ? हैं, बहुत सारे विकल्प हैं। हम सब्जी में थोड़ा घी अथवा दही मिला लें तो न केवल नमक सामान्य लगेगा अपितु स्वाद में भी कुछ नयापन उत्पन्न हो जाएगा।
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हमारे पास बहुत से विकल्प होते हैं लेकिन हमारी आदत बन चुकी है समस्याओं को हल करने की बजाय उन पर खुद दुखी होने की और दूसरों को दुखी करने या रखने की। और उन लोगों के बारे में क्या कहा जाए जो सब्जी में नमक कम होने पर भी उसमें एक चुटकी नमक और डालने की बजाय आसमान सिर पर उठा लेते हैं? हमने अपनी आदत बना ली है छोटी-छोटी बातों को बिना वजह तूल देने की।
जीवन में छोटी-मोटी बातों को दरकिनार करना और यदि दूसरों को लगता है कि हमसे गलती हुई है तो गलती हो या न हो, सॉरी बोल देना बहुत सी परेशानियों को उत्पन्न ही नहीं होने देगा।
अक्सर देखा जाता है कि, ऑफिस में काम करने वाले लड़के से कोई छोटी गलती हो जाए तो बॉस गुस्से में लाल पीला हो जाता है। ऐसा इस लिए होता है क्योंकि बॉस इसे अपनी उत्कृष्टता से जोड़ लेता है। इसी तरह जब घर में पत्नी या बच्चों से कोई गलती हो जाती है तो हम बेवजह तमशा खड़ा कर देते हैं वहां भी हम इसे उत्कृष्टता से जोड़ लेते हैं।
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जबकि जीवन में घटित होने वाली ये असंख्य छोटी-छोटी बातें हैं, जिनका हमारे जीवन की उत्कृष्टता पर शायद ही कोई प्रभाव पड़ता हो लेकिन हम इन्हें किस रूप में लेते हैं, इस बात का प्रभाव हमारे जीवन के विविध पक्षों पर निश्चित रूप से पड़ता है।
किसी भी घटना के उपरांत हमारी जो प्रतिक्रिया होती है, हमारे जीवन की दशा निर्धारित करने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। घटना चाहे छोटी हो या बड़ी, हर घटना के मुख्य रूप से दो पक्ष होते हैं। एक अच्छा या सकारात्मक व दूसरा बुरा या नकारात्मक। घटनाओं के प्रति हमारे दृष्टिकोण से ही हमारे जीवन की दिशा बदल जाती है। जैसा हमारे सोचने-समझने का नजरिया या दृष्टिकोण होता है वही हमारे जीवन की वास्तविकता में परिवर्तित हो जाता है। यदि हम जीवन में तनावमुक्त व सुखी रहना चाहते हैं तो हमें घटनाओं के केवल अच्छे या सकारात्मक पक्ष को ही देखना चाहिए।
यदि हम घटनाओं के प्रति सचेत रहें, हर बात की जिम्मेदारी उठाने के लिए तत्पर रहें और घटनाओं के केवल सकारात्मक पहलू पर ही ध्यान दें तो जीवन में बेकार की समस्याएं उत्पन्न होने का प्रश्न ही नहीं उठता। हम घटनाओं के प्रति अपने गलत दृष्टिकोण व प्रतिक्रिया के कारण ही अनेकानेक समस्याएं पैदा करते रहते हैं। कुछ लोग अति सामान्य घटनाओं के अवांछित पक्ष को देखकर न केवल स्वयं दुखी रहते हैं अपितु अपने आसपास के लोगों को भी दुखी रखने में कोई कसर नहीं रख छोड़ते। जीवन में छोटी-मोटी घटनाओं के प्रति तटस्थ रहकर अथवा उनके प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण त्याग करके ही हम जीवन में वास्तविक प्रसन्नता प्राप्त कर सकते हैं।
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