न्यूज़ डेस्क
संसदीय लोकतंत्र, बालिग़ मताधिकार, सर्व धर्म सम्भाव, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व, क़ानून का राज और अन्याय को बर्दाश्त न करना हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की पूंजी हैं। भारत आज जिस संकट के दौर से गुजर रहा है, उससे उबरने में स्वतंत्रता आंदोलन के आदर्श और जीवन मूल्य ही हमारा संबल हो सकते हैं।ऐसा लखनऊ में आयोजित हुई एक संगोष्ठी में बताया गया।
लखनऊ के प्रेस क्लब में ‘स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ समाजवादी नेता सगीर अहमद की पुस्तक ‘उम्मीद अभी जिन्दा है’ का लोकार्पण किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी ने किया।
इस कार्यक्रम में रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी ईश्वर चंद द्विवेदी, लखनऊ मांटेसरी इंटर कॉलेज के ट्रस्टी एवं अध्यक्ष नवीन चंद तिवारी, मौलाना अबुल कलाम आजाद एकेडमी के महासचिव डॉ हाशमी, पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी, प्रो खान मोहम्मद आतिफ़, साहित्यकार सलमान बशर, प्रो मसूदुल हसन, अमीर हैदर और रिटायर्ड आईएएस विनोद शंकर चौबे सहित कई लोगों ने शिरकत की।
अपने संबोधन में सैयद सगीर अहमद ने कहा कि आज की नस्ल को नसीहत देना चाहता हूं कि आपस में व्यवहार अच्छा बनाकर रखें। दिल्ली के हालात में भी उम्मीद की किरणें दिखती हैं क्योंकि वहां पर दोनों वर्गों के लोगों ने एक दूसरे की मदद की है इसके लिए बधाई देता हूं।
रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी ईश्वर चंद द्विवेदी ने बताया कि हमें सत्य आयोग का गठन करना चाहिए ताकि लोग अपने-अपने तर्क और सबूत प्रस्तुत कर सकें और उस पर होने वाले विवाद समाप्त हो सके, जैसा दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला ने किया था।
इसके अलावा लखनऊ मांटेसरी इंटर कॉलेज के ट्रस्टी व अध्यक्ष नवीन चंद तिवारी ने कहा कि गांधीजी व अन्य महापुरुषों के विचारों को पढ़ना चाहिए। सेक्युलर तो राज्य होता है कोई व्यक्ति विशेष नही। विचार, दर्शन के साथ आचरण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
अंत में ट्रस्ट के सचिव जयप्रकाश ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि हमारी साझी विरासत जिंदा रहे इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए।