जुबिली न्यूज डेस्क
पश्चिम बंगाल में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तीसरी बार बंगाल का चुनावी संग्राम जीतने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर बीजेपी मजबूत विपक्ष बन उनके सामने खड़ा हो गया है।
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इस बीच चुनाव से पहले गठबंधन कर चुके कांग्रेस और वाममोर्चा राज्य में अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए अपने गठबंधन को मजबूत करने में लगे हैं। 230 सीटों पर समझौता कर चुके दोनों ही दलों ने मुस्लिम वोट कहीं बंट न जाए इसके लिए हुगली के फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी को भी शामिल करने की रणनीति बनाई है। सबसे खास बात ये है कि अब्बास भी वाम-कांग्रेस गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को राजी है।
पेंच सीटों के साथ-साथ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को लेकर भी है। क्योंकि, अब्बास के पीछे ओवैसी खड़ें हैं और उसी के शह पर पीरजादा ने अपनी इंडियन सेकुलर फ्रंट नाम से पार्टी बनाई है।
इस बीच, अब्बास ने वाम-कांग्रेस नेतृत्व को पत्र लिखकर साफ कर दिया है कि यदि जल्द कोई निर्णय नहीं लिया गया तो वह अकेले ही चुनाव में उतरेंगे। इसके बाद वाममोर्चा चेयरमैन विमान बोस ने अब्बास सिद्दीकी और उनकी पार्टी के अध्यक्ष नौशाद सिद्दीकी को 16 फरवरी को बैठक के लिए बुलाया है। माना जा रहा है कि इस बैठक में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा हो सकती है।
अब्बास कांग्रेस के गढ़ रहे मुर्शिदाबाद और मालदा में अधिक सीटें चाहते हैं। क्योंकि, इन दोनों ही जिलों में मुस्लिम आबादी 65 फीसद से अधिक है। परंतु, कांग्रेस नहीं चाहती है कि उनके गढ़ में किसी और को सीट मिले। यही वजह रही है कि वाममोर्चा के साथ भी इन दोनों जिलों में सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा है।
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ऐसे में अब्बास की एंट्री से कांग्रेस परेशान है। दूसरी ओर ओवैसी के साथ जाने से भी परेशानी है। अभी कुछ दिन पहले ही अब्बास ने माकपा कांग्रेस गठबंधन से सीट समझौते पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी और वाममोर्चा के अध्यक्ष बिमान बसु को एक पत्र लिखा था, जिसमें अब्बास गठबंधन के साथ हाथ मिलाने के लिए 40 सीटें मांगी थी। लेकिन वाममोर्चा उन्हें 20 से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं है।