न्यूज डेस्क
झारखंड के जीतराई हांसदा ने दो साल पहले जब फेसबुक पर बीफ को लेकर पोस्ट लिखा था तो उनको अंदाजा नहीं था कि उनके साथ ऐसा कुछ हो सकता है। फिलहाल वह इस पोस्ट की वजह से जेल की सलाखों के पीछे हैं।
जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज में प्रवक्ता के पद पर अनुबंध पर काम कर रहे जीतराई हांसदा ने दो साल पहले फेसबुक पर बीफ खाने को लेकर एक पोस्ट लिखी थी। इस मामले में 25 मई की रात जमशेदपुर के साकची इलाके से पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक-
जीतराई हांसदा ने मई 2017 में फेसबुक पर लिखा था कि बीफ खाना आदिवासी संस्कृति का हिस्सा है। कोर्ट रिकॉर्ड्स के मुताबिक, उन्होंने गोहत्या के खिलाफ कानून की आलोचना भी की थी और पूछा था कि आदिवासी हिंदुओं की तरह क्यों जिएं।
हांदसा की पोस्ट को लेकर जमदेशपुर पुलिस ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया था। उनके खिलाफ आरोप थे कि उनकी पोस्ट समाज में ‘असहिष्णुता, शत्रुता और नफरत’ फैला सकती है। इस मामले में शिकायतकर्ता अनिल कुमार सिंह थे, जो उस वक्त साकची पुलिस स्टेशन के प्रभारी थे।
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अब क्यों गिरफ्तार किया के सवाल पर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, ‘वह (हांदसा) चार्जशीट दाखिल होने के बाद से ही फरार थे।’ वहीं आरोपी प्रवक्ता के वकील शादाब अंसानी ने कहा कि उन्हें पुलिस के इस दावे की पुष्टि करनी होगी।
गौरतलब है कि 18 अप्रैल को हांदसा के तब के वकील ने दलील दी थी कि वैध आधार पर किसी कानून या कानूनी प्रावधान की आलोचना को अपराध के तौर पर नहीं देखा जा सकता। उन्होंने कहा था कि हांदसा ने सिर्फ अपने खाने के तौर-तरीके और अपने समुदाय की संस्कृति का जिक्र किया था। वकील ने कहा था, ”आरोपी को अपनी संस्कृति के अधिकारों की रक्षा करने का अधिकार है।”
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हालांकि जमशेदपुर के स्थानीय कोर्ट ने कहा था, ”हांदसा के खिलाफ आरोप गंभीर किस्म के हैं। ऐसी टिप्पणियों को किसी समुदाय के सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा के तौर पर नहीं लिया जा सकता।”