पैन्क्रियाटिक कैंसर से पीडि़त गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का निधन हो गया है। हालांकि उन्होंने इस बीमारी से लड़ते हुए गजब की जीवटता का परिचय दिया और आखिरी समय तक सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे।
हम आपको बताते हैं कि ये बीमारी है क्या, और इसकी पहचान कैसे होती है।
पैन्क्रियाटिक कैंसर बहुत ही घातक बीमारी है, क्योंकि शुरुआती स्टेज में इसके लक्षण सामने नहीं आते हैं। ज्यादातर मामलों में लक्षण दिखाई देना तब शुरू होते हैं जब या तो प्रभावित सेल्स बड़ा आकार ले लेते हैं या फिर पैंक्रियाज के बाहर फैल चुके होते हैं।
अडवांस स्टेज में पैन्क्रियाटिक कैंसर के बारे में पता चलने पर उसका उपचार शुरू भी कर दिया जाए तो मरीज के पूरी तरह ठीक होने की उम्मीद बहुत कम होती है।
खास बात यह है कि इस बीमारी की चपेट में ज्यादातर वरिष्ठ नागरिक आते हैं, यानी कि 60 साल की उम्र के बाद लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं. मनोहर पर्रिकर की उम्र 63 साल थी।
बता दें कि उम्र बढ़ने के साथ ही इंसान के डीएनए में कैंसर पैदा करने वाले बदलाव होते हैं। इसी कारण 60 साल या इससे अधिक उम्र के शख्स इस बीमारी का ज्यादा शिकार बनते हैं।
पुरुष धूम्रपान ज्यादा करते हैं इसलिए ये महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में ज्यादा होती हैं। धूम्रपान करने वालों में अग्नाशय कैंसर के होने का खतरा सामान्य व्यक्ति के मुकाबले दो से तीन गुणा तक ज्यादा होता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि रेड मीट और चर्बी युक्त आहार का सेवन करने वालों को ये जानलेवा बीमारी शिकार बनाता है। अगर आप फल और सब्जियों का सेवन प्रचुर मात्रा में करते हैं तो इस बीमारी के होने की आशंका कम होती है।
कैसे होता है यह कैंसर
यह स्थिति तब डेवलप होती है जब पैंक्रियाज के सेल काउंट में बहुत तेजी से वृद्धि होने लगती है। अनियंत्रित कोशिकाएं घातक ट्यूमर बनाती हैं जो ब्लड स्ट्रीम के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करता है, जिससे ऑर्गन फेलियर और मौत हो सकती है।
दो प्रकार का होता है पैन्क्रियाटिक कैंसर
पैंक्रियाज में ग्रंथियां मौजूद होती हैं जो शरीर के लिए पैन्क्रियाटिक जूस, हार्मोन और इंसुलिन बनाती हैं। कैंसर पैंक्रियाज के एक्सोक्राइन और एंडोक्राइन हिस्से में पनपता है। एक्सोक्राइन कैंसर पैन्क्रियाटिक ग्लैंड के अंदर होता है वहीं एंडोक्राइन ट्यूमर उस हिस्से में होता है जो शरीर के लिए हार्मोन प्रड्यूस करता है।
लक्षण
पैन्क्रियाटिक कैंसर का तब तक लक्षण नहीं दिखाता जब तक यह क्रिटिकल न बन जाए। इसके जो शुरुआती लक्षण दिखते भी हैं वे अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते होते हैं ऐसे में ज्यादातर मामलों में मरीज उन अन्य बीमारियों का ही इलाज करवाने लगता है, जिससे पैन्क्रियाटिक कैंसर को शरीर में बढ़ने का मौका मिल जाता है।
निम्नलिखित लक्षण यदि शरीर में अचानक से दिखाई दें और लंबे समय तक बरकरार रहें तो व्यक्ति को एक बार पैन्क्रियाटिक कैंसर के लिए टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।
1. पेट और पीठ में दर्द बने रहना
2. अचानक वजन में कमी आ जाना
3. पाचन संबंधी समस्या
4. बार-बार बुखार आना
5. भूख न लगना
6. त्वचा का रूखापन बढ़ना
7. बेचैनी बने रहना या उल्टी होना
8. पीलिया
9. पेल या ग्रे मल
10. हाई ब्लड शुगर
अग्नाशय कैंसर से बचाव और उपचार
यदि आप नियमित रूप से अपना हेल्थ चेकअप कराते हैं तो इस बीमारी से आप काफी हद तक बच सकते हैं। जैसे ही इस बीमारी का पता चले तुरंत स्पेशलिस्ट डॉक्टर से मिलें। मॉडर्न मेडिकल साइंस कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के द्वारा इस बीमारी का इलाज करता है।
अब हम आपको कुछ ऐसे घरेलू उपाय बता रहे हैं जिसको अपनाकर आप इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं. लिहाजा आप ये उपाय दूसरों को भी बताएं।
फलों का रस: ताजे फलों का रस और हरी सब्जियां खाने से अग्नाशय कैंसर से लड़ने में फायदा मिलता है।