जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। इस उत्सव से जुड़ी कई मान्यताएं व कथाएं भी हैं। आज हम आपको उन्हीं के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है… भगवान कृष्ण और जाम्बवती के पुत्र साम्ब अत्यंत सुंदर थे। उनके सौंदर्य के कारण भगवान की सोलह हजार एक सौ रानियों के मन में कुछ विकृति पैदा हो गई। भगवान को जब नारदजी से यह बात पता चली तो उन्होंने साम्ब को श्राप दे दिया।
श्राप के ऐसे ही आख्यान रुद्रावतार दुर्वासा मुनि, महर्षि गर्ग से भी जुड़े हैं। सभी में साम्ब को कुष्ठ रोग का श्राप देने की कथा हैं। साम्ब ने चंद्रभागा (चिनाब) नदी के तट पर कठिन सूर्योपासना की। इससे उनका कुष्ठ रोग दूर हो गया। इसलिए उन्होंने 12 अर्क स्थलों का निर्माण कराया।
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ब्रह्मा के पुत्र मरीचि हुए। मरीचि के पुत्र ऋषि कश्यप। ऋषि कश्यप का विवाह अदिति से हुआ। अदिति की तपस्या से प्रसन्न सूर्य ने सुषुम्ना नाम की किरण से अदिति के गर्भ में प्रवेश किया। अदिति के गर्भ से जन्मे सूर्य के अंश को विवस्वान कहा गया।
इन्हीं की संतान वैवस्वत मनु हुए। शनि, यम, यमुना और कर्ण सूर्य की संतान हैं। भगवान राम वैवस्वत मनु के पुत्र इक्ष्वाकु कुल में जन्मे। अपने कुल पुरुष की प्रसन्नता के लिए भगवान राम छठ व्रत किया करते थे।
सूर्य के तेज को ‘संज्ञा’ व अस्त को ‘छाया’ और दोनों को सूर्य की पत्नियां बताया गया है। संज्ञा, विश्वकर्मा की पुत्री थीं। वह सूर्य के ताप को बर्दाश्त नहीं कर पाती थीं। उन्होंने छाया नामक अपना प्रतिरूप रचा और स्वयं तपस्या करने कुरू प्रदेश चली गईं।
सूर्य को जब इसका पता चला तो वह संज्ञा की खोज में निकले। संज्ञा, उन्हें सप्तमी तिथि के दिन प्राप्त हुईं। इस तिथि को सूर्य को दिव्य रूप मिला तथा संतानें भी प्राप्त हुईं। इसीलिए सप्तमी तिथि भगवान भास्कर को प्रिय है।
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