न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में लिंक रोड की थानाध्यक्ष लक्ष्मी चौहान को भ्रष्टाचार निरोधक कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। लक्ष्मी 70 लाख रुपये के गबन मामले में फरार चल रही थीं। यही इस मामले में थाने में तैनात कई और पुलिस कर्मी को शामिल पाया था।
गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने फरार चल रही पुलिस अधिकारी की सूचना देने पर 25 हजार रुपये के इनाम की घोषणा की थी। इनाम घोषित होने के बाद वह पुलिस को चकमा देते हुए आज मेरठ स्थित भ्रष्टाचार निरोधक अदालत में अन्य आरोपी पुलिसकर्मियों के साथ आत्मसमर्पण करने के लिए पहुंचीं।
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फरार पुलिस अधिकारी के खिलाफ लिंक रोड थाना में भारतीय दंड विधान की धारा 422 और 409 के तहत मामला दर्ज है। बता दें कि लक्ष्मी के खिलाफ अदालत ने 19 अक्टूबर को गैर जमानती वारंट जारी किया था।
इसके बाद पुलिस ने लक्ष्मी को गिरफ्तार करने के लिए कई स्थानों पर दबिश दी, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इस मामले में अन्य आरोपी पुलिसकर्मी नवीन कुमार, बच्चू सिंह, फराज खान, धीरज भारद्वाज, सौरभ शर्मा और सचिन कुमार हैं।
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ये है पूरा मामला
बता दें कि एटीएम से गबन मामले में पकड़े गए करीब एक करोड़ रुपए से करीब 70 लाख रुपए गायब होने का आरोप इन पुलिसकर्मियों पर लगा है। मामले में की गई जांच में सीसीटीवी फुटेज भी सामने आई, जिसमें एसएचओ लक्ष्मी सिंह चौहान सरकारी गाड़ी से प्राइवेट गाड़ी में बैग रखते हुए कैद हुई। एसपी सिटी की जांच में लक्ष्मी सिंह चौहान पर लगे आरोप सही पाए गए।
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दरअसल, थाना लिंक रोड क्षेत्र के एटीएम से सीएमएस कंपनी के कर्मचारियों के साथ मिलकर गबन की साजिश रची गई थी। इस केस में 24/25 सितंबर 2019 की रात लक्ष्मी चौहान ने अन्य पुलिसकर्मियों के साथ राजीव सचान और आमिर को गिरफ्तार किया।
इनके पास से 45,81,500 रुपये की बरामदगी दिखाई। मामले में साहिबाबाद के सीओ राकेश कुमार मिश्र ने गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछताछ की तो पता चला कि राजीव सचान से करीब 55 लाख रुपये और आमिर से 60 से 70 लाख रुपये पकड़े गए थे।
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पूरा थाना भ्रष्टाचार में था शामिल
बरामद पैसों में अंतर पाए जाने पर थाना लिंक रोड प्रभारी लक्ष्मी सिंह चौहान, एसआई नवीन कुमार पचौरी और पांच कॉन्स्टेबल बच्चू सिंह, फराज, धीरज भारद्वाज, सौरभ कुमार और सचिन कुमार की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी।
एसएसपी के अनुसार इन सभी को पुलिस की छवि धूमिल करने के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और मामले की जांच के आदेश दे दिए गए थे, जिसमे ये सभी दोषी पाये गए थे।