जुबिली न्यूज़ डेस्क
कांग्रेस पार्टी के लिए यह दशक बड़ा ही उथल-पुथल वाला रहा है। देश की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी पार्टी आज खुद के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है। गांधी परिवार के वरिश राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर खुद को मुख्यधारा से अलग कर लिया है। हालांकि उन्होंने पद छोड़ते समय कहा था कि वह एक कार्यकर्ता के रूप में संघर्ष करेंगे लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। राहुल के इस फैसले के बाद सबकी निगाहें प्रियंका पर टिकी हुई हैं जबकि सोनिया गांधी ने फिर से सक्रिय होकर बागडोर संभाल ली है।
कांग्रेस के इस बुरे हाल के लिए अन्य दलों से अधिक पार्टी के ही नेता जिम्मेदार हैं। पार्टी को गर्त में पहुंचाने वाले लोग कांग्रेसी ही हैं। नेताओं की गुटबाजी ने पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र में अभी भी अंतर्कलह देखने को मिल रही है।
वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से मात्र एक सीट जीतने वाली कांग्रेस पार्टी के लिए एक और बड़ी मुसीबत बनकर सामने आईं है रायबरेली सदर से पार्टी की विधायक अदिति सिंह।
बता दें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर 36 घंटे के लिए बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र का कांग्रेस, सपा व बसपा ने बहिष्कार किया था। लेकिन बावजूद कांग्रेस की अदिति सिंह, बसपा के अनिल सिंह और सपा के नितिन अग्रवाल पार्टी लाइन से अलग होकर विशेष सत्र में शामिल हुए।
जिसके बाद से कयासों का बाजार गर्म हैं। खासकर अदिति सिंह को लेकर चर्चा काफी तेज है, क्योंकि बुधवार को ही कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी का लखनऊ में पैदल मार्च था, लेकिन वह उसमें शामिल न होकर देर शाम विधानसभा के विशेष सत्र में पहुंच गयी। इतना ही नहीं, उन्होंने सत्र की चर्चा में हिस्सा भी लिया।
अदिति ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि “चाहे वह धारा 370 रही हो या अन्य कोई बात, उन्होंने सरकार का समर्थन किया है। मैं एक पढ़ी लिखी विधायक हूं, जो चीज मुझे सही लगी उस पर मैंने अपनी बात रखी है। बता दें कुछ दिन पूर्व ही अदिति के बाहुबली पिता अखिलेश सिंह का निधन हुआ था। जिसके बाद से अदिति सिंह की बीजेपी से नजदीकियां बढ़ी हैं।
बीजेपी की नजर सोनिया गांधी की सीट पर है
बता दें कि अमेठी और रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अमेठी सीट जीतने में सफलता तो मिल गई लेकिन रायबरेली सीट पर अब भी कांग्रेस का कब्ज़ा बरकरार है। सूत्रों की माने तो सोनिया के इस गढ़ को बचाने में अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह की बड़ी भूमिका थी लेकिन उनकी हत्या के बाद अब अदिति सिंह को बीजेपी अपने पाले में करके कांग्रेस के अंतिम किले को भी फतह करना चाहती है।
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