न्यूज डेस्क
देश में बढ़ते हुए कोरोना सकंट को देखते हुए केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने राशन कार्ड को आधार से जोड़ने की समय-सीमा सितंबर तक बढ़ाने का फैसला किया है। साथ ही लॉक डाउन के वजह से आर्थिक संकट से जूझ रहे गरीबों और मजदूरों को ध्यान में रखते हुए निर्देश दिए हैं कि आधार से जुड़े नहीं होने के बावजूद लाभार्थियों को राशन कार्ड पर उनके हिस्से का राशन मिलता रहेगा।
बता दें कि आधार से नहीं जुड़े राशन कार्ड रद्द होने की खबरों पर मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए यह बात कही। आधिकारिक बयान के अनुसार, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को राशन कार्ड को आधार संख्या से जोड़ने की जिम्मेदारी खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की सात फरवरी 2017 की अधिसूचना के आधार पर दी गई है। इस अधिसूचना को समय-समय पर संशोधित किया जाता रहा है।
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अब इस काम की समय-सीमा को बढ़ाकर 30 सितंबर 2020 तक कर दिया गया है। बयान के अनुसार जब तक मंत्रालय सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्पष्ट निर्देश नहीं जारी करता तब तक किसी भी सही लाभार्थी को उसके हिस्से का राशन देने से मना नहीं किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि किसी का राशन कार्ड आधार संख्या नहीं जुड़े होने के कारण रद्द नहीं किया जाएगा।
बयान के अनुसार जब तक मंत्रालय सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्पष्ट निर्देश नहीं जारी करता तब तक किसी भी सही लाभार्थी को उसके हिस्से का राशन देने से मना नहीं किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि किसी का राशन कार्ड आधार संख्या नहीं जुड़े होने के कारण रद्द नहीं किया जाएगा।
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केंद्र सरकार कोरोना महामारी के बीच एक जून से 20 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में महत्वाकांक्षी राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी सेवा ‘एक राष्ट्र-एक राशनकार्ड’ को अमल में लाने की तैयारी में है। यह जानकारी हाल ही में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने दी थी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र सरकार से कह चुका है कि वह ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना अपनाने की संभावना पर विचार करे ताकि कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में लागू लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले कामगारों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को रियायती दाम पर अनाज मिल सके।
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राशन कार्ड के साथ आधार विवरण को सम्बद्ध करना और पीडीएस दुकानों पर पॉइंट आफ सेल मशीन स्थापित करना, राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी को प्रभावी रूप से सक्षम बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह प्रक्रिया पहले ही, 17 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में पूरी हो चुकी है, जिनमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, गोवा, झारखंड, त्रिपुरा, बिहार, यूपी, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दमन और दीव शामिल हैं।