ओम प्रकाश सिंह
- कौन बनेगा अवध विश्वविद्यालय का कुलपति, आवेदन की अंतिम तिथि आज..
- बन सकता है इतिहास, कुलपति पद पर हो सकती है किसी महिला की नियुक्ति..
- अवैध नियुक्तियों, भ्रष्टाचार के चलते कार्यकाल पूरा होने के पहले ही इस्तीफा ले लिया था राजभवन ने..
- आवेदन करने वालों में बीएचयू के शिक्षकों की ज्यादा संख्या..
अयोध्या। रामनगरी के डाक्टर राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में कुलपति चयन के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि कल समाप्त हो जाएगी। विश्वविद्यालय कार्य परिषद ने कुलपति सर्च कमेटी के लिए नॉमिनी का नाम राजभवन को भेज दिया है। कुलपति बनने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ज्यादा शिक्षकों ने आवेदन किया है। यह भी हो सकता है कि इस बार अवध की बागडोर किसी महिला के हाथ में दे दी जाए।
यूं तो बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने ज्यादा संख्या में विश्वविद्यालय का कुलपति बनने के लिए आवेदन किया है लेकिन चर्चा मध्य प्रदेश के एक विश्वविद्यालय की महिला कुलपति की ज्यादा है। उन्हें कुलाधिपति का नजदीकी भी बताया जाता है। सूत्रों के अनुसार गोरखपुर, आगरा, लखनऊ विश्वविद्यालय के साथ अवध विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने भी आवेदन किया है और उत्तर प्रदेश के बाहर से भी काफी संख्या में आवेदन राजभवन आए हैं।
यह संयोग कहें या अवध विश्वविद्यालय का दुर्भाग्य कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से दो प्रोफेसरों की नियुक्ति कुलपति के रूप में हुई और दोनों के कार्यकाल बेहद भ्रष्टाचार पूर्ण रहने के आरोप लगे । सन 2014 में कुलपति के रूप में प्रोफेसर गुलाबचंद राम जयसवाल की नियुक्ति हुई तो उनके खिलाफ करोड़ों रुपए के घपले में शासन ने आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा से जांंच भी कराया। प्रदेश सरकार में एक मंत्री के रसूख के चलते जयसवाल साफ बच निकले लेकिन और अधीनस्थ फंस गए। यही नहीं जीसीआर जायसवाल पर आरोप भी लगा कि उन्होंने नकल रोकने की आड़ में अवध विश्वविद्यालय से संबंध महाविद्यालय के प्रबंधकों को खूब बुलाया । दिल्ली में अपने संपर्कों के चलते जी सीआर जायसवाल बिहार में भी कुलपति बन गए लेकिन वहां उनके कारनामे जब उजागर हुए तो इस्तीफा देना पड़ा।
बनारस से ही दूसरे शिक्षक प्रोफेसर रविशंकर सिंह पटेल की नियुक्ति सन 2020 में अवध विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में हुई। शुरू में तो कुछ दिन सब ठीक-ठाक चला लेकिन उसके बाद कुलपति के सबसे विश्वस्त ओएसडी शैलेंद्र सिंह पटेल ने भ्रष्टाचार, अवैध नियुक्तियों, जातिवाद का ऐसा ताना-बाना बुना की कुलाधिपति श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने कार्यकाल समाप्त होने के एक वर्ष पूर्व ही इस्तीफा ले लिया।
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विश्वविद्यालय में हुई शिक्षक भर्तियों में अनियमितता, महाविद्यालय प्रबंधकों से वसूली, निर्माण कार्यों में लूट, दीपोत्सव के नाम पर वसूली जैसे आरोपों से घिरे दागी कुलपति के इस्तीफे के बाद प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर अखिलेश कुमार सिंह को कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किया गया है। मुख्यमंत्री, राज्यपाल से लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री तक रविशंकर सिंह पटेल के कारनामों की शिकायत हुई है लेकिन अभी तक सिवाय इस्तीफे के और कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
इस्तीफे के बाद राजभवन ने अवध विश्वविद्यालय कुलपति पद चयन के लिए आवेदन करने की विज्ञप्ति जारी कर दिया था। जिसकी अंतिम तिथि 7 जुलाई है। कुलपति बनने के लिए सैकड़ो की संख्या में आवेदन राजभवन आए हैं। दो बनारसी कुलपतियों की कारगुजारी देखकर अवध विश्वविद्यालय परिसर में भयमिश्रित माहौल है कि यदि फिर कोई काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ही आया तो उसके कार्यकाल में क्या होगा ।