Wednesday - 6 November 2024 - 11:11 AM

लोक गायिका शारदा सिन्हा का आखिरी छठ गीत… प्रशंसकों की आंखें नम हो गईं

जुबिली स्पेशल डेस्क

पटना।लोक गायिका शारदा सिन्हा का आखिरी छठ गीत, “दुखवा मिटाईं छठी मइया, रउए आसरा हमार,” उनके निधन से ठीक एक दिन पहले रिलीज हुआ। शारदा सिन्हा का यह गीत उनके प्रशंसकों के बीच खासा लोकप्रिय हो गया है और इसे सुनकर कई प्रशंसकों की आंखें नम हो गईं। उनके इस अंतिम गीत में छठ महापर्व के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और बिहार की लोक परंपरा की झलक दिखाई देती है।

शारदा सिन्हा ने अपने लंबे करियर में छठ पूजा से जुड़े कई प्रसिद्ध गीत गाए, जिनमें “केलवा के पात पर उगेल हे सूरज देव” और “हो दिनानाथ” जैसे गीत शामिल हैं। उनके इस आखिरी गीत को सोशल मीडिया पर भी साझा किया गया, जिससे लाखों प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। उनके निधन से भारतीय लोक संगीत में एक अपूरणीय क्षति हुई है​।

लोक गायिका शारदा सिन्हा: भारतीय लोक संगीत की एक अद्वितीय हस्ती

शारदा सिन्हा भारतीय लोक संगीत में एक ऐसा नाम हैं, जो बिहार और पूरे देश में छठ गीतों के लिए प्रसिद्ध हैं। 1952 में बिहार के समस्तीपुर जिले में जन्मी शारदा सिन्हा ने लोक संगीत के क्षेत्र में अपनी एक अनोखी पहचान बनाई है। वह अपने भोजपुरी, मैथिली, और मगही गीतों के माध्यम से भारतीय परंपराओं और संस्कृति को सजीव करने का काम करती हैं।

करियर और प्रसिद्धि का सफर

शारदा सिन्हा ने संगीत की शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से प्राप्त की और अपनी शुरुआत परिवार के आयोजनों में गाए गए गीतों से की। वह अपनी मधुर आवाज और गहरे भावों से श्रोताओं के दिलों में बसती हैं। उनकी लोकप्रियता तब बढ़ी जब उन्होंने छठ महापर्व के गीत गाए, जैसे कि “केलवा के पात पर उगेल हे सूरज देव” और “हो दिनानाथ”। इन गीतों ने उन्हें बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में लोकप्रिय बना दिया।

उपलब्धियाँ और सम्मान

शारदा सिन्हा को उनके अनमोल योगदान के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया है। 2018 में, उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इससे पहले, उन्हें पद्म श्री पुरस्कार भी मिल चुका है। उनकी आवाज़ ने छठ पूजा जैसे त्योहार को एक नया आयाम दिया है और उनके गीत भारतीय लोक संस्कृति का जीवंत प्रमाण बन गए हैं।

आखिरी छठ गीत और प्रशंसकों की श्रद्धांजलि

हाल ही में शारदा सिन्हा का आखिरी छठ गीत, “दुखवा मिटाईं छठी मइया, रउए आसरा हमार” रिलीज़ हुआ, जिसने उनके चाहने वालों की भावनाओं को और भी प्रबल कर दिया। यह गीत उनके निधन से ठीक एक दिन पहले रिलीज़ किया गया और इसके बोलों ने श्रोताओं की आंखों में आंसू ला दिए। शारदा सिन्हा का योगदान भारतीय लोक संगीत में अद्वितीय है, और उनके गीत सदियों तक भारतीय संस्कृति की धरोहर के रूप में गाए जाते रहेंगे।

शारदा सिन्हा की विरासत संगीत प्रेमियों के दिलों में हमेशा जीवित रहेगी, और उनकी आवाज भारतीय लोक संगीत को समृद्ध करती रहेगी।

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