न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। कोविड 19 महामारी ने दुनिया को वो दिन तक दिखा दिया है जिसे शायद ही किसी ने सोचा हो। अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि लोगों ने लॉकडाउन में कैसे- कैसे दिन देखे। लेकिन दिल तब टूट जाता है जब इंसानियत को तार-तार कर देने वाली कुछ खबरें सुनाई देती है।
पूरी दुनिया में लॉकडाउन के कारण लाखों लोग रोजगार से हाथ धो बैठे। लॉकडाउन और यात्रा पर पाबंदी होने के बाद लोगों का व्यापार ठप पड़ गया। आय के सभी साधन समाप्त होने के बाद आज वे आर्थिक तंगी से लड़ रहे हैं।
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लॉकडाउन में किराये के मकानों में रहने वाले लोगों पर समस्याओं का अम्बार टूट पड़ा है। पहले नौकरी हाथ से गयी फिर खाने के लाले पड़े और मकान का किराया चुकाने के पैसे नहीं बचे हैं। ऐसे में मकान मालिक किराये पर रहने वाली महिलाओं से किराये की एवज में शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बना रहे है।
नेशनल फेयर हाउसिंग एलायंस की रिपोर्ट के मुताबिक 100 से ज्यादा फेयर हाउसिंग ग्रुप्स ने पूरे अमेरिका में लोगों को इस समस्या से जूझते देखा है। इस महामारी के बीच देश में यौन उत्पीड़न के मामले 13% बढ़े हैं।
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एक महिला ने एनएफएचए की वेबसाइट के माध्यम से कहा, ‘अगर मैं अपने प्रॉपर्टी मैनेजर के साथ सेक्स करने से इनकार करती तो वो मुझे घर से बाहर निकाल देता। एक सिंगल मदर होने के नाते मेरे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा था। मैं अपना घर नहीं खोना चाहती थी।’
विदेशों में सख्त कानून की दुहाई देने वालो की बोलती तब और भी बंद हो जाती है जब किराये के बदले सेक्स की मांग करने वाले मामले अमेरिका समेत ब्रिटेन से भी सामने आने लगे। सेक्स के बदले रेंट फ्री एकोमोडेशन की सुविधा के नाम पर बढ़ते ऑनलाइन विज्ञापनों से भी पर्दा उठाया जाने लगा है।
किराए के लिए सेक्स की व्यापकता से जुड़ा डेटा दुर्लभ है। हाउसिंग एक्सपर्ट्स का कहना है कि कानून की समझ न होने के चलते उल्टा मकान मालिकों का शिकार हो रही पीड़ितों पर वैश्यावृति के आरोप लग सकते हैं।
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हाउसिंग चैरिटी शेल्टर (इंग्लैंड) की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच सालों में प्रॉपर्टी मैनेजर्स ने तकरीबन ढाई लाख महिलाओं को किराया देने की बजाय सेक्स की पेशकश की है।
सेक्सटॉर्शन (यौन उत्पीड़न) के खिलाफ अभियान चलाने वाली ब्रिटिश लॉ मेकर वेहा हॉबहाउस के अनुसार, ‘किराये के बदले सेक्स की मांग बढ़ने की संभावना पहले ही थी, क्योंकि लॉकडाउन के वक्त लोगों के पास घर में कैद रहने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था।’
हॉबहाउस ने कहा, ‘महामारी के दौरान पूरे ब्रिटेन में वित्तीय संकट से जूझ रहे लोगों ने इसका अनुभव किया है। किराया चुकाने में असमर्थ लोगों को मजबूरन मकान मालिकों की शर्त स्वीकार करनी पड़ी है।’
एनएफएचए ने अपनी रिपोर्ट में यह भी दावा किया है कि ज्यादातर महिलाएं मकान मालिकों के खिलाफ यौन उत्पीड़न का केस नहीं दर्ज करवा रही हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि ऐसा करने पर प्रॉपर्टी मैनेजर उन्हें घर से बेदखल कर देगा। दूसरा उनकी आर्थिक तंगी से जुड़े भी कुछ कारण हो सकते हैं।
मानव अधिकारों की वकील कारिन लॉन्ग की माने तो रेंट के बदले सेक्स के लिए अमेरिका में महिलाएं काफी पहले से ही शिकार हो रही हैं। इनमें सेक्स ट्रैफिकिंग सर्वाइवर, जेल से छूटी हुईं कैदी और अल्पसंख्य तबके की महिलाएं हैं।
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