जुबिली न्यूज डेस्क
राजधानी लखनऊ में घर और ज़मीन का सपना कई लोगों का होता है, लेकिन इसी सपने को कुछ सरकारी अफसरों और जालसाजों ने मिलकर भयानक फ्रॉड में बदल दिया। लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) से जुड़े एक बड़े जमीन घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें खाली प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री कर करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया।
फर्जीवाड़ा कैसे हुआ?
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एलडीए के संपत्ति विभाग के कर्मचारी उन प्लॉट्स की जानकारी गिरोह को देते थे, जहां कोई निर्माण नहीं हुआ था या जिनके मालिकों की सक्रियता नहीं थी।
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गिरोह इन प्लॉटों के फर्जी कागजात और आधार कार्ड तैयार करता था।
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फिर सस्ते दाम पर जमीन बेचने के नाम पर फर्जी रजिस्ट्री करवा दी जाती थी।
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यदि कोई खरीदार कागजों की जांच करवाता, तो एलडीए का ही कोई कर्मचारी उसे सही बता देता।
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प्लॉट बिकने के बाद जालसाज गायब हो जाते थे।
IAS अफसर की जमीन भी बेच दी गई!
इस घोटाले की शुरुआत तब सामने आई जब एक सीनियर IAS अधिकारी की ज़मीन फर्जी तरीके से बेच दी गई।
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शिकायत मिलने पर उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने जांच शुरू की और एक संगठित रैकेट के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया।
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पूछताछ में पता चला कि यह गिरोह पिछले 10–15 सालों से एक्टिव था और अब तक 90 से ज्यादा प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री कर चुका है।
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इन प्लॉटों की कुल कीमत करीब 100 करोड़ रुपये आंकी गई है।
एलडीए के कर्मचारी भी शामिल, 16 की पहचान
जांच में सामने आया कि इस घोटाले में एलडीए के 16 कर्मचारी भी शामिल हैं, जिनमें से 6 ने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले ली है।
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ये सभी कर्मचारी गिरोह को प्लॉट की जानकारी, कागज़ात और समर्थन उपलब्ध कराते थे।
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एलडीए के वीसी प्रथमेश कुमार ने भी जांच करवाई और कहा कि सभी दोषी कर्मचारियों की लिस्ट एसटीएफ को सौंप दी गई है।
किन इलाकों की जमीनों पर हुआ फ्रॉड?
फर्जी रजिस्ट्री का यह घोटाला मुख्य रूप से एलडीए द्वारा विकसित गोसाईगंज, जानकीपुरम विस्तार, गोमती नगर और सरोजिनी नगर जैसे पॉश इलाकों में सामने आया है।
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कई मामले अब कोर्ट में, जांच जारी
फर्जी दस्तावेज़ों पर जमीन बेचने के कई मामले अभी कोर्ट में लंबित हैं।
एसटीएफ अब एलडीए कर्मचारियों से भी पूछताछ कर रही है और इस पूरे रैकेट की गहराई से जांच की जा रही है।