जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के जेल से बाहर आने की समय सीमा और बढ़ गई है. आधी सजा काट लेने के बाद ज़मानत के लिए चल रही कोशिशों को जेल मैनुअल उल्लंघन मामले की वजह से झटका लग गया है.
झारखंड हाईकोर्ट में जेल मैनुअल उल्लंघन मामले में हुई सुनवाई के बाद जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने झारखंड सरकार और जेल प्रबंधन से एसओपी तलब करते हुए मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को तय की है. हाईकोर्ट ने अधिकारियों से कहा है कि लालू यादव को रिम्स से रिम्स निदेशक के बंगले में शिफ्ट किये जाने और निदेशक बंगले से रिम्स के पेइंग वार्ड में ले जाए जाने की पूरी डीटेल तलब की है.
राजद प्रमुख बहुचर्चित चारा घोटाले में सजा काट रहे हैं. उनकी आधी सजा पूरी भी हो गई है. बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान यह चर्चा तेज़ी से चली थी कि शपथ गृहण तक लालू यादव जेल से ज़मानत पर रिहा होकर अपने घर पहुँच जाएंगे. लेकिन इसी बीच चुनाव परिणाम ने हालात बदल दिए. लालू यादव पर इल्जाम लगा कि उन्होंने जेल मैनुअल का उल्लंघन करते हुए राजद को फायदा पहुंचाया. इस मामले में लालू के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी.
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हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछा कि लालू यादव को जेल से बाहर इलाज के दौरान भी सेवादार क्यों दिया गया. हाईकोर्ट के इस सवाल के जवाब में रांची के जेल अधीक्षक ने कहा है जेल के बाहर भी कैदियों की सुरक्षा जेल प्रशासन की ही ज़िम्मेदारी होती है. इसलिए वह जेल में रहें या अस्पताल में रहें जेल प्रशासन को सुरक्षा देनी ही पड़ेगी.