न्यूज डेस्क
झारखंड विधानसभा के चुनाव नतीजे ने साफ कर दिया है कि ब्रांड मोदी की चमक में कमी आई है। महाराष्ट्र, हरियाणा और अब झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे देखने के बाद साफ समझा सकता है कि भले ही देश की राजनीति में नरेंद्र मोदी का डंका बज रहा हो लेकिन राज्यों की राजनीति में मोदी लहर कमजोर हो रही है।
हालांकि बीजेपी का झारखंड में वोट प्रतिशत बढ़ा है लेकिन सत्ता हाथ से गंवानी पड़ी और मोदी विरोधी मुख्यमंत्रियों में एक और नाम जुड़ गया वो है हेमंत सोरेन का। जिस तरह से झारखंड में महागठबन्धन ने तख्ता पलट किया है और हेमंत सोरेन की वापसी हुई है उसे बीजेपी पचा नहीं पा रही है। इस बीच झारखंड में विपक्ष की जीत का सूत्रधार लालू यादव को माना जा रहा है।
झारखंड में आरजेडी नेताओं की माने तो लालू की भूमिका एक किंगमेकर के तौर पर हुई है अब तो लोग ये भी कहने लगे हैं कि लालू है तो मुमकिन है। दरअसल, झारखंड में जिसतरह से महागठबन्धन की जीत हुई है और समूचे देश भर में विपक्ष आज जश्न मना रहा है इसके पीछे बड़ी भूमिका लालू यादव की है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में भले ही चुनाव लड़ा गया और उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई लेकिन यहां तक पहुंचाने में जो लालू ने पर्दे के पीछे से अपना किरदार निभाया है।
यही कारण है कि लालू यादव को किंगमेकर कहा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक ओम दत्त की माने तो लालू ने जेल के भीतर से ही महागठबन्धन की ऐसी मजबूत नींव रखी जिससे विरोधी धरासायी हो गए। महागठबन्धन की एकजुटता से लेकर सीट बंटवारे और उम्मीदवारों के चयन में भी लालू की अहम भूमिका रही। केवल बाबू लाल मरांडी को एक साथ करने में लालू सफल नहीं हो सके लेकिन सोरेन से लेकर कांग्रेस और फिर वामदलों को एकसाथ रखकर लालू ने दिखा दिया कि वो जोड़तोड़ के महारथी हैं जिसका जबर्दस्त फायदा भी हुआ।
लोकसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो बिहार के उपचुनाव में जिस तरह से आरजेडी ने वापसी की है उसमें लालू की बड़ी भूमिका रही है। खासकर लालू का सेंटीमेंट पालिटिक्स जनता को खूब रास आया। लालू सोशल मीडिया और पत्र के जरिये जेल के भीतर से जिस तरह से लोगों के दिलों तक पहुंचे नतीजे सामने हैं।
तेजस्वी बिहार से लेकर झारखंड तक के चुनाव में लोगों के बीच लालू प्रसाद की जेल की कहानी सुनाते रहे। वैसे लालू के जेल का मामला तो कोर्ट से जुड़ा है लेकिन आरजेडी और खुद लालू ने इस मौके को समय समय पर खूब भुनाया। जनता के बीच ये मैसेज दिया गया कि बीमार लालू को जेल में मारने की साजिश की जा रही है तो लालू जेल में बैठकर शतरंज की चाल चलते रहे फिर लालू ने ये साबित भी कर दिया कि वो राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं।
झारखंड की जीत में महागठबन्धन की एकजुटता एक बड़ा आधार है। लालू गठबंधन के संयोजक की भूमिका में रहे तो उन्होंने गठबंधन की एकजुटता के लिए सबसे पहले खुद का बलिदान दिया। 14 सीटों पर दावेदारी के बावजूद भी लालू 7 सीटों पर समझौता कर गए। लालू जानते थे कि झारखंड में झामुमो का बड़ा जनाधार है तो उन्होंने हेमंत सोरेन के लिए अपनी सीटें छोड़ दीं। लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यहीं पर चूक गए। लालू की तरह तेजस्वी अपने सहयोगियों को एकजुट करने में बहुत हद तक नाकाम रहे जिसके चलते बिहार के उपचुनाव में महागठबन्धन पूरी तरह से बिखर गया। तेजस्वी के लिए झारखंड का चुनाव एक सबक है।
अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव है, जिसकी तैयारियों में सभी दल लगे हुए हैं। झारखंड चुनाव में जीत से उत्साहित तेजस्वी बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं। वहीं जिस तरह से राज्यों में बीजेपी कमजोर हो रही है वो मोदी-शाह के लिए खतरे की घंटी है।
खबरों की माने तो 27 दिसंबर को हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे और अगर सब कुछ ठीक रहा तो जिस तरह हरियाणा में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के पिता पैरोल पर जेल से बाहर आए थे और शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे ठीक उसी प्रकार लालू यादव भी जेल से बाहर कर शपथ ग्रहण में शामिल हो सकते हैं। मतलब साफ है कि नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर जिस तरह से देश में मोदी विरोधी लहर बनाने की कोशिश की जा रही है उसे लालू के द्वारा विपक्ष और हवा देने की कोशिश कर रहा है।
बता दें कि झारखंड में JMM-CONG-RJD गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। सीएम का ताज हेमंत सोरेन के सिर सजेगा। सोमवार को राज्य की 81 विधानसभा सीटों के नतीजे घोषित किए गए। इसमें JMM ने 30, कांग्रेस ने 16, RJD ने एक और बीजेपी ने 25 सीटों पर कब्जा जमाया। इस तरह प्रचंड बहुमत के साथ महागठबंधन ने रघुवर सरकार की छुट्टी कर दी।