जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधायकी जाने का खतरा मंडरा है। अगर ऐसा होता है तो मुख्यमंत्री की कुर्सी जाना लगभग तय है। पत्थर खनन लीज आवंटन मामले में उनके खिलाफ शिकायत को लेकर चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश राज्यपाल रमेश बैस को भेज दिया है।
स्थानीय मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उनके भविष्य आज कोई फैसला आ सकता है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अगला कदम क्या उठायेंगे।
हालांकि उनके पास तीन रास्ते बचे हैं जिससे वो आगे का रास्ता तय कर सकते हैं। अगर वो ये तीन रास्ते पर चलते हैं कि तो उनके पास या उनके परिवार के पास ही रहेगी। उनके लिए लालू मॉडल और सोनिया गांधी का फॉमूर्ला अपनाने का रास्ता खुला है।
लालू वाला मॉडल क्या है
इस मॉडल के तहत जिस तरह से लालू चारा घोटाले में नाम आने के बाद उनको जेल जाना पड़़ा था तब उन्होंने बेहद चालाकी से सत्ता अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सौंप दी थी।
इसी तरह चाहे तो हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री पद पर काबिज करा सकते हैं। इतना ही नहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन का विकल्प भी मौजूद हैं लेकिन ये आसान नहीं होगा क्योंकि शिबू सोरेन अब सक्रिय राजनीति में नहीं।
दरअसल उनकी उम्र और स्वास्थ्य इसमें बड़ा रोड़ा है। कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन के पास ‘लालू मॉडल’ का खुला रास्ता है जो अपनाते हुए अपनी पत्नी को सीएम बना सकते हैं।
सोनिया गांधी का फॉर्मूल
हेमंत सोरेन चाहे तो महागठबंधन सहयोगी कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष वाला फॉर्मूला भी अपना सकते हैं। इसके तहत हेमंत सोरेन को इस्तीफे के बाद महागठबंधन के विधायक उन्हें अपना नेता चुन सकते हैं। इसके बाद सोरेन को एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी होगी और छह महीने के भीतर विधानसभा की सदस्यता लेनी होगी। बता दें कि 2006 में यूपीए-1 की सरकार के समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का आरोप लगा था। इसके बाद उनको रायबरेली सांसद पद छोडऩा पड़ा था लेकिन फिर से चुनाव लडक़र संसद पहुंच गई थी।
कोर्ट भी जा सकते हैं
हेमंत सोरेन के पास एक तीसरा विकल्प कोर्ट जाने का भी है। हेमंद सोरेन राज्यपाल के फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं और राज्यपाल के फैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।