जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अक्टूबर 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के आरोपियों में से एक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया। इस दौरान यूपी सरकार ने कहा कि यह अपराध गंभीर और जघन्य था।
यूपी सरकार ने किया आशीष मिश्रा का विरोध
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ से कहा कि यह एक गंभीर और जघन्य अपराध है और इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फरवरी 2022 में आशीष मिश्रा को जमानत दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया और मामले को पुनर्विचार के लिए वापस हाईकोर्ट भेज दिया। हाईकोर्ट ने दोबारा सुनवाई के बाद जुलाई 2022 में जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद आशीष मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
क्या बोले आरोपी के वकील?
दूसरी ओर आशीष मिश्रा के वकील ने कहा दूसरे FIR जो दर्ज किए गए हैं, उसमें आरोपों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया है. इस मामले में कोई चश्मदीद सामने नहीं आया है. यूपी सरकार की तरफ से बताया गया कि इस मामले चार आरोपियों की जमानत का ट्रायल कोर्ट में विरोध किया है.
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यूपी सरकार के वकील ने कहा कि आशीष मिश्रा को जमानत न दिया जाए हम उनकी जमानत का विरोध कर रहे हैं. कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार से कहा कि जब चार्जशीट फाइल हो चुकी है तो चार्ज फ्रेम हो चुका है. ऐसे में जमानत के पहलू पर बहस करें. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा इस मामले में जमानत के विरोध की कोई वजह बताएं. कोर्ट के इस सवाल पर यूपी सरकार ने कहा कि यह गंभीर मामला है. अगर आशीष मिश्र को जमानत दिया जाता है तो समाज मे इसका गलत संदेश जाएगा.
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