लखनऊ. देश के अन्य राज्यों में श्रमजीवी पत्रकारों को मिल रही पेंशन की व्यवस्था को उत्तर प्रदेश में भी अविलंब लागू कराने के यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन (यूपीडब्लूजेयू) की मांग पर सहमति जताते हुए श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि वह इस प्रकरण को मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे।
इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्लूजे) से संबद्ध यूपीडब्लूजेयू के एक प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात के दौरान श्रम मंत्री मौर्य ने कहा कि अन्य राज्यों की तर्ज पर यूपी में भी पत्रकारों को पेंशन मिलनी चाहिए और वह इस मांग से सहमत हैं। यूपीडब्लूजेयू अध्यक्ष टीबी सिंह, राज्य सचिव राजेश मिश्रा, संगठन सचिव अजय त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार सुनील दिवाकर व आशीष बाजपेयी के साथ श्रम मंत्री से मिलने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने मांगों से संबंधित ज्ञापन भी सौंपा।
प्रतिनिधिमंडल में आईएफडब्लूजे के प्रधान महासचिव परमानंद पांडे, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी व आईएफ़ब्लूजे राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ कलहंस भी शामिल थे।
हेमंत तिवारी ने श्रम मंत्री को बिंदुवार ज्ञापन में उल्लिखत मांगों को बताते हुए कहा कि पत्रकारों की पेंशन संबंधी प्रतिवेदन सरकार के पास लंबित है और इसका परीक्षण भी हो चुका है।
उन्होंने कहा कि यूपी के पड़ोस में सभी राज्यों जैसे उत्तराखंड व मध्य प्रदेश में पत्रकारों को पेंशन दी जा रही है पर यहां के पत्रकार इससे वंचित हैं। परमानंद पांडे ने श्रम न्यायालयों को और भी प्रभावी बनाने व पत्रकारों के सेवायोजन संबंधी मामलों को समयबद्ध तरीके से निपटाने की मांग की।
टीबी सिंह ने कहा कि पत्रकारों को कोरोना काल में आर्थिक कारणों का हवाला देकर व मजीठिया वेतनमान मांगने पर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। श्रम विभाग को उनकी बहाली के लिए कदम उठाने चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए श्रम मंत्री मौर्य ने कहा कि पेंशन के संबंध में वह स्वंय मुख्यमंत्री से अनुरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की छंटनी संबंधी जो भी मामले उनके संज्ञान में आए हैं उनमें मदद की गयी है। श्रम न्यायालयों को और भी प्रभावी बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि योगी सरकार पत्रकारों के हितों के लिए कृतसंकल्प है।